सारी दुनिया में बहुत सारे लोग ‘सकारात्मक सोच’ के बारे में बात करते हैं। जब आप सकारात्मक सोच की बात कर रहे हैं तो एक अर्थ में आप वास्तविकता से दूर भाग रहे हैं। ....
अगर हम अस्तित्व के स्तर पर देखें तो एक साल पूरा करके दूसरे साल में जाने का कोई मतलब नहीं निकलता है। हम कहीं नहीं जा रहे हैं, हम हमेशा इस एक पल में ही हैं। ....
मुझसे कहते हैं मित्र कि नये वर्ष के लिए कुछ कहूं। नये वर्ष के लिए मैं कुछ न कहूंगा क्योंकि आप ही तो नया वर्ष फिर जीएंगे, जिन्होंने पिछला वर्ष पुराना कर दिया; आप नये वर्ष को भी पुराना करके ही रहेंगे। ....
एक बार भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। उनके प्रिय शिष्य आनंद ने मार्ग में उनसे एक प्रश्न पूछा-‘भगवान! जीवन में पूर्ण रूप से कभी शांति नहीं मिलती, कोई ऐसा मार्ग बताइए कि जीवन में सदा शांति का अहसास ह ....
मुक्त का अर्थ है चक्र को तोड़ना। आप इस चक्र को क्यों तोड़ना चाहेंगे? लोग समझते हैं कि अगर आप दुखी होंगे तभी आप इस चक्र को तोड़ना चाहेंगे परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। ....
भगवान के यों अगणित नाम हैं, उनमें से एक नाम है-सच्चिदानंद। सत् का अर्थ है-टिकाऊ अर्थात न बदलने वाला-न समाप्त होने वाला। इस कसौटी पर केवल परब्रह्मा ही खरा उतरता है। ....