लोग ऐसा प्रेम नहीं चाहते जो क्षणभंगुर हो। वे एक सरसरी नजर या अल्पकालीन मिलन नहीं चाहते। ....
समस्त दु:खों का कारण है-अज्ञान, अशक्ति व अभाव। जो इन तीनों को जिस सीमा तक अपने से दूर करने में समर्थ होगा, वह उतना ही सुखी बन सकेगा। ....
हमें इस बात को समझना चाहिए कि हमारी जीवन ऊर्जा एक खास तरह से व्यवस्थित होती है। ....
स्वाभिमान अभिमान नहीं। भिन्नता ही नहीं है, विरोध है। अभिमान दूसरे से अपने को श्रेष्ठ समझने का भाव है। ....
जैसा मनुष्य का स्वभाव होता है उसी के अनुरूप उसकी मनोदशा बनती रहती है और जब वही आदत अपने जीवन का अंग बन जाती है तो उसे संस्कार मान लेते हैं। ....
आज हम में से हरेक खुशी और शांति की तलाश कर रहा है। यह खोज सर्वव्यापी है। आखिरकार दुखी तो कोई भी नहीं रहना चाहता। ....
प्रत्येक मनुष्य की आकांक्षा रहती है कि सुख-शांति और संपन्नता से जीवन व्यतीत करे। सुख-शांति और संपन्नता परस्पर निर्भर हैं। ....
आप की लायकी या कीमत क्या है यह सिर्फ इस दृष्टि से नहीं आंकना चाहिए कि आप कितना कमा रहे हैं। ....
सभी युवक, युवक नहीं होते। सभी बूढ़े, बूढ़े नहीं होते। जिसे युवक होने की कला आती है, वह बूढ़ा होकर भी युवक होता है, और जिसे युवक होने की कला नहीं आती, वह युवक होकर भी बूढ़ा ही होता है। ....
हमारे चिन्तन में गहराई हो, साथ ही श्रद्धायुक्त नम्रता भी। अंतरात्मा में दिव्य-प्रकाश की ज्योति जलती रहे। ....
दुनिया पर नजर डालिए। क्या सभी ईश्वर में विश्वास करने वाले लोग आनंदित जीवन जीते हैं? नहीं। ....
सामान्य दृष्टि से विचार करने पर सामाजिकता का अर्थ समाज के हितों का ध्यान रखना ही प्रतीत होता है, लेकिन सामाजिकता का अर्थ इतना मात्र नहीं है। ....
दुनिया के मुताबिक, सफलता का मतलब है कि आप अपने बगल में दौड़ रहे किसी व्यक्ति से थोड़ा तेज भाग रहे हैं। ....
दान मैत्री और प्रेम से निकलता है तो आपको पता भी नहीं चलता है कि आपने दान किया। यह आपको स्मरण नहीं आती कि आपने दान किया। ....
भगवान के यों अगणित नाम हैं, उनमें से एक नाम है-सच्चिदानंद। सत का अर्थ है-टिकाऊ अर्थात न बदलने वाला-न समाप्त होने वाला। ....
एक सक्रिय लोकतंत्र का मतलब है कि आप कभी किसी तरह की विचारधारा को न अपनाएं। ....
अध्यात्म विज्ञान के साधकों को अपने दृष्टिकोण में मौलिक परिवर्तन करना पड़ता है। ....
अगर आप अभी मौजूदा चीजों के साथ जुड़ जाते हैं, और जो नहीं है, उसकी कल्पना नहीं करते तो फिर आपके भीतर डर की कोई गुंजाइश ही नहीं बचेगी। ....
ऐसा होता है कि हम अक्सर दुखी रहना ही चुनते हैं। ऐसा क्यों है कि हमें इतना होश नहीं कि यह हमारा ही चुनाव है? ....
कीचड़ में कमल उगना एक सुयोग है। आमतौर से उसमें गंदे कीड़े ही कुलबुलाते रहते हैं। ....
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