मोबाइल और ध्यान

Last Updated 22 Jun 2022 04:05:26 AM IST

बहुत से साधकों को लगता है कि मोबाइल जैसे साधन उनके ध्यान को भटकाते हैं। क्या आपको भी ऐसा ही लगता है?


सतगुरु

अगर हां, तो क्या करना चाहिए?अगर आपको लगता है कि आपका फोन आपका ध्यान भटकाता है तो कल्पना कीजिए कि आप आदियोगी की तरह कैलाश पर बैठे हैं, जहां शून्य से भी 15 डिग्री कम तापमान है। ये कहीं ज्यादा ध्यान भटकाने वाला है। मोबाइल फोन तो आपकी सुविधा के लिए है। तकनीक की मदद लेने का मकसद अपनी गतिविधियों को आसान बनाना है ताकि आप अपने जीवन को विस्तार दे सकें।

आपको याद होगा कि कुछ दशक पहले तक अपने यहां लंबी दूरी की कॉल करना कितना मुश्किल व थकाऊ काम हुआ करता था। नब्बे के दशक में जब हम ईशा फाउंडेशन बनाने के शुरु आती दौर में थे, उन दिनों मैं लगातार सड़कों पर ही होता था, शहर-शहर, गांव-गांव घूमता रहता था। उस समय हफ्ते में एक दिन मैं  फोन करने के लिए चुनता था। जब मैं तय करता कि आज मेरा ‘कॉल डे’ है, तो किसी गांव या कस्बे में रु कता और किसी बूथ पर चला जाता, जिन पर मोटे अक्षरों में नीले रंग से ‘एसटीडी’ लिखा रहता था। सबसे पहले मैं  उस बूथ के मालिक के पास जाकर कुछ हजार रुपये जमा करता। उसके बाद मैं फोन करना शुरू करता। सारे फोन निपटाने तक डायलिंग फोन के नंबर घुमा-घुमाकर मेरी उंगलिया घायल हो चुकी होतीं। आज तो हमें नंबर मिलाने के लिए हाथ को भी तकलीफ देने की जरूरत नहीं पड़ती।

अगर मैं किसी का नाम ले लूं तो सेल फोन उसे कॉल लगा देगा। समस्या यह नहीं है कि हमारे पास सुविधाएं हैं, समस्या चेतना की कमी की है। क्योंकि आप जब कोई काम करना शुरू करते हैं, तो आपको पता ही नहीं होता कब रुकना है। जो चीजें हमारे जीवन को बेहतर और आसान बना सकती हैं। अपनी नासमझी के चलते हम उन्हें मुसीबत में बदल रहे हैं। क्या आज यह संभव है कि वाट्सएप बज रहा है, और हम शांत होकर स्थिर बैठ सकते हैं। बिल्कुल आप अपने फोन को बंद कर दीजिए। आपके दखल के बिना भी यह दुनिया अच्छी तरह से चलती रहेगी। अगर आप इस दुनिया से बहुत उलझते नहीं हैं, तो लोग आपके साथ खुश रहेंगे। लेकिन अगर आप इसमें बहुत ज्यादा उलझे रहेंगे तो लोग आपके मरने के बाद खुश होंगे। पसंद आपकी है।



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