बुद्धत्व

Last Updated 28 Jun 2022 04:34:06 AM IST

स्वस्थ व्यक्ति निरन्तर अनुभव नहीं करता कि वह स्वस्थ है, केवल बीमार व्यक्ति स्वास्थ्य में रुचि रखते हैं।


आचार्य रजनीश ओशो

जिस क्षण तुम स्वस्थ होते हो, अपनी बीमारी से बाहर आते हो, तुम्हें स्वास्थ्य का अनुभव होगा, लेकिन जब यह तुम्हारा प्रति दिन का स्वाभाविक अनुभव बन जाता है, तब तुम्हारे पास बीमारी से विपरीत तुलना करने के लिए कुछ नहीं होती। क्या तुमने निरीक्षण किया कि जब तक तुम्हारे सिर में दर्द न हो तुम्हें तुम्हारे सिर का पता नहीं चलता?

तुम्हें तुम्हारे सिर का पता केवल दर्द होने पर चलता है। सिरदर्द से इसका ज्ञान होता है, जिन लोगों को सिरदर्द का अनुभव नहीं है वे नहीं जानते कि बिना दर्द का स्वस्थ सिर क्या होता है। हमारे सारे अनुभव उनके विपरीत अनुभवों पर निर्भर होते हैं। तुम कड़वा स्वाद नहीं ले सकते तो कोई मीठा स्वाद भी नहीं ले सकते। तुम अंधेरा नहीं देख सकते तो प्रकाश भी नहीं देख सकते। और अगर तुम निरंतर एक ही अवस्था में रहते हो तो तुम इसे भूलना शुरू कर देते हो।

यही है जिसे मैं बुद्धत्व के पार जाना कहता हूं, जिस दिन तुम भूलना शुरू कर देते हो कि तुम बुद्ध हो, जिस दिन यह तुम्हारे जीवन का स्वाभाविक क्रम बन जाता है, साधारण, कुछ विशेष नहीं। जैसे कि तुम ास लेते हो, जैसे कि तुम्हारा हृदय धड़कता है, जैसे कि तुम्हारे शरीर में खून गति करता है, बुद्धत्व तुम्हारे अस्तित्व का अंश बन जाता है। तुम इसके बारे में सब कुछ भूल जाते हो। जब तुम बुद्धत्व के बारे में पूछते हो, मुझे याद आता है कि हां, एक अनुभव है जिसे बुद्धत्व कहते हैं। लेकिन जब मैं अकेला बैठा हूं, कभी याद नहीं रहता कि मैं बुद्ध हूं, यह एक पागलपन होगा! यह एकदम स्वाभाविक, साधारण अनुभव बन गया है।

पहले मन के पार जाओ। तब बुद्धत्व के भी पार जाओ। कहीं पर भी रु को मत। जब तक तुम अस्तित्व के बस साधारण अंश हो, पेड़ों के साथ, पक्षियों के साथ, पशुओं के साथ, नदियों के साथ, पर्वतों के साथ। तुम गहन संगति अनुभव करते हो, कोई श्रेष्ठता नहीं, हीनता नहीं, गौतम बुद्ध को बुद्धत्व के पार जाने की कुछ झलकियां मिली थीं। उन्होंने इसका उल्लेख किया है कि बुद्धत्व के पार जाने की संभावना है। उन्होंने यह नहीं कहा कि वे इसके पार चले गए हैं,  लेकिन माना कि एक अवस्था होनी चाहिए जब तुम बुद्धत्व के विषय में सब कुछ भूल जाओ। तुम इतने स्वस्थ होते हो कि स्वास्थ के बारे में सब कुछ भूल जाते हो; केवल तभी तुम घर लौटते हो। अंत में बुद्धत्व भी बाधा है, अंतिम बाधा।



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