पर्यावरण

Last Updated 08 Jun 2022 12:02:30 AM IST

एक समय था, जब सारी दुनिया में, जब लोगों के पास कोई काम नहीं होता था तब वे मौसम की चर्चा किया करते थे, लेकिन आजकल कोई मौसम की चर्चा नहीं करता।


सद्गुरु

आप चाहे जहां जाएं, आप की दादी, नानी से लेकर आप के नाती-पोतों तक, हर कोई केवल अर्थव्यवस्था के बारे में बात करता है। सभी की बातचीत में, अर्थव्यवस्था ही मुख्य मुद्दा बन गया है। साधारण रूप से जीवन जीने का मतलब है बस खाना, सोना, बच्चे पैदा करना और एक दिन मर जाना।
इसे अब बहुत ज्यादा जटिल बना दिया गया है। मैं इसके खिलाफ नहीं हूं पर लोग सोचते हैं कि अर्थव्यवस्था आज की चिंता है और पर्यावरण भविष्य का मुद्दा है। ये विचार बदलना जरूरी है। पर्यावरण आज की समस्या है और आज की ही चिंता का विषय भी। अगर आज हमारा जीवन अद्भुत है, तो इसलिए नहीं कि शेयर बाजार में उथल-पुथल हो रही है या फिर किसी विशेष देश या समाज में विकास दर का प्रतिशत अच्छा है। हमारा जीवन अच्छा इसलिए है कि हम पोषक खाना खा रहे हैं, स्वच्छ जल पी रहे हैं, और शुद्ध हवा में सांस ले रहे हैं।
ये पूरी तरह से भुला दिया गया है। आज जो भोजन हम खा रहे हैं वह रसायनों से भरा हुआ है। जो पानी हम पी रहे हैं वह जहर से भरा है और हवा तो जहरीली है ही। मुझे लगता है कि तकनीक की सहायता से हम अगले 10 से 15 वर्षो में हवा का शुद्धिकरण कर लेंगे। इस दिशा में एक बड़ा आंदोलन चल रहा है, लेकिन मिट्टी और पानी, ये बड़ी समस्याएं हैं। मिट्टी में ही जीवन पनपता है। मैं और आप, कुछ और नहीं, बस थोड़ी सी मिट्टी हैं। जो मिट्टी थी वह भोजन बन गया, जो भोजन था वह मांस और रक्त बन गया। ये बात हमें उस दिन समझ में आ ही जाएगी जब हम दफना दिए जाएंगे।

दुर्भाग्यवश, मिट्टी एक ऐसी चीज है जिसे अधिकतर लोग पर्यावरण की दृष्टि से नजरअंदाज कर देते हैं। बर्फ  का पिघलना, शायद जल्दी नजर आ जाता हो, पर हमने मिट्टी को जो नुकसान पहुंचाया है वह ज्यादा खतरनाक है। जो सब्जियां और फसल हम अपने देश में उगा रहे हैं, उनके पोषक तत्वों में, पिछले 25 वर्षो में लगभग 30 फीसद गिरावट आई है। वे आप को बस कचरा बेच रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि मिट्टी की गुणवत्ता बहुत नीचे आ गई है।



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