जब हम किसी प्रियजन को खोते हैं, चाहे उनकी बीमारी या मृत्यु हो जाए या वे छोड़ कर चले जाएं-चाहे हम किसी भी वजह से उन्हें खोएं, सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि हमारे जीवन में उनकी जो जगह थी, उसके कारण वे एक खालीपन छोड़ जा ....
आध्यात्मिकता का अर्थ है उस चेतना पर विश्वास करना, जो प्राणधारियों को एक-दूसरे के साथ जोड़ती है, सुख-संवर्धन और दुख-निवारण की स्वाभाविक आकांक्षा को अपने शरीर या परिवार तक सीमित न रख कर अधिकाधिक व्यापक बनाती है। ....
परिस्थितियों की अनुकूलता की प्रतिज्ञा करते-करते असल मकसद दूर पड़ा रह जाता है। हमें जीवन में जो कष्ट है, जो हमारा लक्ष्य है, उसे हम परिस्थिति के प्रपंच में पड़ कर विस्मृत कर रहे हैं। ....
अपव्यय एवं अनावश्यक संग्रह से अनेक प्रकार की दुष्प्रवृत्तियां पनपती हैं? अपव्यय करने वाले मानो बदले में दुष्प्रवृत्तियां खरीदते हैं और उनसे अपना और दूसरों का असीम अहित करते हैं। ....
संवाद का मतलब होता है कि दूसरे को खुले मन से समझने का प्रयास करना। सत्य तक पहुंचने के लिए एक-दूसरे का हाथ थाम लेना, राह ढूंढ़ने में एक-दूसरे की मदद करना संवाद है। ....
प्राचीन काल की ऋषि परम्परा के शिक्षण में ऐसी व्यवस्था रहती थी कि मनोभूमि को सबल, काया को समर्थ और सुदृढ़ बनाने के लिए वे सारे प्रयोग किए जाएं जो अभीष्ट उद्देश्य की पूर्ति में सहायक हों। ....
जागरूकता के साथ अपने अंदर जीवन के उस भाग तक पहुंच पाना, उस जानकारी और ज्ञान तक सचेत होकर पहुंचने से आप ऐसी ऊंचाई को छू सकते हैं, जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की है। ....
अध्यात्म की तुलना अमृत, पारस और कल्पवृक्ष से की गई है। इस महान तत्व ज्ञान के संपर्क में आकर मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप को, बल और महत्त्व को, पक्ष और प्रयोजन को ठीक तरह समझ लेता है। ....