जानकारी
जिसे आप जानकारी कहते हैं, वह सूचनाओं का ढेर है, जिसे आपने इकट्ठा किया है।
सद्गुरु |
चाहे आपको भोजन पकाना हो, कार या कंप्यूटर बनाना हो, इमारतें बनानी हों, इकट्ठी की गई जानकारी उसके लिए महत्त्वपूर्ण है। एक दिन एक यूनिर्वसटिी का एक युवा छात्र सोडा की बोतल और पॉपकॉर्न हाथ में लेकर फुटबॉल मैच देखने गया। वहां एक बुजुर्ग बैठे हुए थे। वह जाकर उनके बगल में बैठ गया और बोला, ‘आप बूढ़े लोगों की पीढ़ी पता नहीं कैसे रहती थी! आप लोग वाकई कुछ नहीं जानते।
देखिए, हमारी पीढ़ी कंप्यूटर के साथ बड़ी हुई है। हमारे पास नैनो टेक्नोलॉजी है। स्पेसक्राफ्ट है। आज हम दुनिया में कहीं भी प्रकाश की गति से बात कर सकते हैं। आप लोग वाकई बहुत आदिम जीवन जी रहे थे। इसलिए आप लोग हमारी अल्ट्रा मॉडर्न पीढ़ी को समझ नहीं सकते। आप लोग असभ्य हैं क्योंकि जब आप बड़े हो रहे थे, तो आपके पास ये चीजें नहीं थीं।’ बुजुर्ग ने यह सब सुना और खास तौर पर जोर से बोले ताकि आसपास बैठे लोग भी सुन लें, ‘हां, बेटा, जब हम बड़े हो रहे थे, तो हमारे पास ये चीजें नहीं थीं।
इसलिए हमने इनका आविष्कार किया। मूर्ख युवक, अब तुम बताओ, तुम अगली पीढ़ी के लिए क्या कर रहे हो?’ आपको जीवन के अनुभवों का इस्तेमाल करना पड़ता है न सिर्फ अपने अनुभवों का, बल्कि धरती पर जीवन जी चुकी लाखों पीढ़ियों के अनुभवों का। आप उसका इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो सब कुछ नये सिरे से शुरू करना होगा। लेकिन उसके साथ-साथ, अगर आप इस ज्ञान को अपने अनुभव की स्पष्टता पर हावी होने देंगे, फिर आप किसी भी चीज को उसके वास्तविक रूप में नहीं देख पाएंगे। पुराना ज्ञान लगातार हावी होता रहेगा।
आपके साथ कुछ नया नहीं होगा। चीजों को उस रूप में देखने के लिए, जिस रूप में अभी वे हैं, आपको जानकारी से मुक्त होना चाहिए। अतीत में जो कुछ था, उसे जानने के लिए जानकारी की जरूरत पड़ती है। वह जानकारी आपकी याददाश्त में होती है। अगर आपकी याददाश्त, आपकी बुद्धि पर पूरी तरह हावी हो रही है, उस पर चिपक रही है, तो यह छुरी अपनी धार खो देगी और किसी भी चीज को काट नहीं पाएगी। इसी संदर्भ में मैंने जानकारी को छोड़ने की बात कही है।
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