चैतन्य का नशा
जब पतंजलि कर्मकांडों से कैवल्यपद की ओर बढ़े (‘कैवल्य’ का अर्थ है मोक्ष) तो उन्होंने कहा कि आप कई तरह से ईश्वर की झलक पा सकते हैं, कुछ दवाओं या ड्रग्स के प्रयोग से, कुछ मंत्रों के पहले दवाओं पर आते हैं। पतंजलि वैज्ञानिक थे।
सद्गुरु |
सामान्य धार्मिंक व्यक्ति नहीं थे। किसी चीज से डरते नहीं थे। उन्होंने हर चीज को जांचा-परखा। एक धार्मिंक व्यक्ति आम तौर पर ड्रग्स की बात नहीं करेगा। मगर पतंजलि ने कहा कि ड्रग भी देवत्व की एक संभावना है, मगर सबसे निचली संभावना। ड्रग के साथ होता क्या है? अगर आप एलएसडी या मेरिजुआना जैसा कोई रसायन लेते हैं, तो उस रसायन का यह गुण होता है कि वह कहीं न कहीं मन को तोड़ देता है। इतिहास के लिखे जाने शुरू होने से पहले भी लोगों ने आध्यात्मिक मार्ग पर ड्रग्स का सेवन किया था।
पुराण कहते हैं कि शिव खुद ड्रग्स का इस्तेमाल करने वाले पहले शख्स थे। लेकिन आप यह जरूर समझें कि शिव उस पर काबू कर सकते हैं, आप नहीं। एक बार, आदिशंकर शिष्यों के साथ यात्रा कर रहे थे। वह एक जगह रुके और खूब सारी देशी शराब पी ली और फिर चलने लगे। कुछ शिष्यों को लगा कि इसका मतलब वे भी ऐसा कर सकते हैं। आगे जहां शराब मिली, उन्होंने भी शराब पी और लड़खड़ाते हुए शंकर के पीछे-पीछे चलने लगे, क्योंकि वे संभल नहीं पा रहे थे। जब वे लोग अगले गांव पहुंचे, तो वहां शंकर सीधे लोहार के पास पहुंचे और एक बर्तन भर पिघला हुआ लोहा पी गए। अब उनकी नकल करने वाले शिष्यों को बात समझ में आ गई। इसलिए, ड्रग्स सबसे निचली संभावना हैं, फिर भी वह एक संभावना है।
यौगिक मार्ग पर ड्रग्स वर्जित हैं, नैतिकता की वजह से नहीं, इसलिए कि उसकी सीमाएं हैं। आपका मन उड़ाने के दूसरे तरीके हमारे पास हैं। मैंने कभी कोई नशा नहीं किया मगर मेरी आंखों में देखने पर आपको मैं हमेशा नशे में लगूंगा। मैं चौबीसों घंटे नशे में रह सकता हूं मगर उसका कोई हैंगओवर नहीं होगा, उसका कोई दाम नहीं है, और वह सेहत के लिए अच्छा भी है। हम शराब, ड्रग्स और ऐसी चीजों को बच्चों का खेल मानते हैं क्योंकि हम सिर्फ अपनी जीवंतता से उससे हजार गुना नशा कर सकते हैं। सिर्फ वाइन क्यों? आप डि-वाइन (चैतन्य) का नशा कर सकते हैं।
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