ISRO का अपना स्पेस स्टेशन बनाने व अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य

Last Updated 08 Jul 2025 11:04:44 AM IST

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने यहां एक कार्यशाला में कहा कि मौजूदा दौर में हर क्षेत्र में स्पेश इंजीनियरिंग का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन अभी भी बारिश व बिजली गिरने से संबंधी सटीक डाटा उपलब्ध कराने की तकनीक विकसित करने की जरूरत है।


ISRO का अपना स्पेस स्टेशन बनाने व अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य

इस मौके पर इसरो के अध्यक्ष ने कहा कि इसरो का अपना स्पेस स्टेशन बनाने और अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य है। योजना भवन में इसरो, अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार एवं रिमोट सेन्सिंग एप्लीकेशन्स सेण्टर, उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में ‘विकसित भारत 2047 के निर्माण हेतु उत्तर प्रदेश के परिपेक्ष्य में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग विषयक’ पर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गयी। इसमें इसरो के चेयरमैन एवं अंतरिक्ष विभाग भारत सरकार में सचिव डा. वी. नारायणन मुख्य अतिथि थे।

इस मौंके पर मुख्य सचिव ने कहा कि टेक्नोलॉजी का प्रभाव हम लोगों के जीवन तथा देश व प्रदेश के विकास में पड़ता है। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इसरो का योगदान अहम है। इसरो पूरी दुनिया में सबसे सस्ते और विसनीय सैटेलाइट लॉन्च के लिए जाना जाता है। यह वैज्ञानिकों की क्षमता और हमारे कार्य करने के तरीके को दर्शाता है।उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है। स्पेस टेक्नोलॉजी के बगैर अपने लक्ष्य और विकास को हासिल कर पाना असंभव है।

उत्तर प्रदेश में रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेण्टर वर्ष 1982 देश के पहले सेण्टर के रूप में स्थापित हुआ है। काफी लम्बे समय से प्रदेश के विकास में इस सेण्टर का योगदान रहा है। लगभग सभी विभाग स्पेस टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने चेयरमैन इसरो और वैज्ञानिकों से बारिश व बिजली गिरने से संबंधी सटीक डाटा उपलब्ध कराने की तकनीक विकसित करने की अपेक्षा की, जिससे समय रहते किसानों व लोगों को सतर्क किया जा सके।मुख्य सचिव ने रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर, उत्तर प्रदेश सरकार और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, अंतरिक्ष विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई उत्तर प्रदेश में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों और अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे की भविष्य की आवश्यकताओं पर आधारित रिपोर्ट का विमोचन भी किया।

इसरो के चेयरमैन एवं अंतरिक्ष विभाग में सचिव डा. वी. नारायणन ने बताया कि क्षेत्रीय राज्य-स्तरीय बैठकों की अवधारणा 2015 में नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आयोजित राष्ट्रीय बैठक से उत्पन्न हुई थी। राष्ट्रीय बैठक के दौरान, केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के सचिवों ने उन योजनाओं की पहचान की थी, जिनमें जीपीएस जैसे उपग्रह रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकियों का प्रभावी उपयोग किया जा सकता है।   

स दौरान प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पंधारी यादव ने कहा कि रिमोट सेंसिंग के माध्यम से उत्तर प्रदेश को एक नई गति मिल रही है। राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान द्वारा देश में प्राकृतिक संसाधनों के अध्ययन एवं प्रबंधन हेतु अंतरिक्ष तकनीकी के उपयोग पर प्रकाश डाला।

समयलाइव डेस्क
लखनऊ


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment