उपलब्धि : ब्रिक्स में भी आतंकवाद की गूंज

Last Updated 08 Jul 2025 02:39:47 PM IST

एससीओ (SCO) और क्वाड (QUAD) के बाद एक बार फिर 67 जुलाई 2025 को ब्राजील के रियो डि जिनेरियो में आयोजित दो दिवसीय 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit) में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हुए आतंकवादी घटना की गूंज सुनाई दी।


उल्लेखनीय है कि लगभग 15 दिनों के भीतर ये तीनों सम्मेलन आयोजित किए गए और भारत ने ऑपरेशन सिन्दूर के बाद पहली बार इन सम्मेलनों में भाग लिया था। 

इस बार ब्रिक्स सम्मेलन ब्राजील की मेजबानी में हुआ, जिसमें पुराने 5 देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के अलावा नये सदस्य देशों मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई और इंडोनेशिया ने हिस्सा लिया। ब्राजील ने 1 जनवरी, 2025 को ब्रिक्स की अध्यक्षता संभाली थी। इस बार की थीम रही-‘समावेशी और टिकाऊ वैिक शासन के लिए ग्लोबल साउथ का सहयोग मजबूत करना’ हालांकि, चीन के किगदाओ शहर में आयोजित एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साझा बयान में पहलगाम की घटना का उल्लेख न होने की वजह से उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। इसलिए वह बयान जारी नहीं हो सका, लेकिन क्वाड के विदेश मंत्रियों की अमेरिका में आयोजित बैठक के बाद क्वाड के साझा बयान में पहलगाम साजिशकर्ताओं, हमलावरों और फंडिंग करने वालों को सजा दिलाने की मांग की गई और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से आह्वान किया गया है कि वे जिम्मेदार लोगों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मिलकर काम करें। निश्चित तौर पर एससीओ, क्वाड तथा ब्रिक्स के  शिखर सम्मेलन  भारत के लिए जहां कूटनीतिक जीत है, वहीं पाकिस्तान और चीन के लिए एक झटका क्योंकि आतंकवाद के मुद्दे पर ये दोनों देश बेनकाब हुए हैं।

ब्रिक्स  देशों के नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से निपटने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए ब्रिक्स घोषणा-पत्र में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। यही नहीं, ब्रिक्स नेताओं ने आतंकवादियों की सीमापार आवाजाही, इसके वित्त-पोषण और सुरक्षित ठिकानों सहित सभी रूपों तथा अभिव्यक्तियों में आतंकवाद से निपटने के लिए भी अपनी वचनबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी ने आतंकवाद को मानवता के समक्ष सर्वाधिक गंभीर चुनौती बताते हुए कहा कि आतंकवाद के शिकार लोगों और इसे शह देने वालों को एक स्तर पर नहीं रखा जा सकता। प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। मोदी का यह कथन महत्त्वपूर्ण है कि पहलगाम घटना भारत की आत्मा, पहचान और सम्मान पर घातक हमला था, आगे उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल भारत पर किया गया हमला नहीं था, बल्कि पूरे मानवता पर किया गया प्रहार था।

आतंकवाद की बर्बरता पर जीरो टॉलरेंस की मांग करते हुए उन्होंने सूचित किया कि आतंकवादी संगठनों पर कड़ी पाबंदी लगाई जानी चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत हमेशा संवाद और राजनीतिक मार्ग द्वारा ही अंतरराष्ट्रीय मसलों के समाधान पर अमल करेगा, जिससे वैिक शांति बनी रहे। इसके अलावा, मोदी ने ब्रिक्स साझेदार देशों के साथ ‘बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और आर्टििफशियल इंटेलिजेंस’ पर आयोजित संपर्क सत्र में भाग लेते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, बहुध्रुवीय और समावेशी वि व्यवस्था  के निर्माण पर बल दिया। जहां तक आतंकवाद का प्रश्न है, अभी तक चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने वीटो का प्रयोग पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को बचाने के लिए ही किया है। अब जिस प्रकार से एससीओ, क्वाड तथा ब्रिक्स में आतंकवाद को समूल नाश करने की प्रतिबद्धता सदस्य देशों ने व्यक्त की है, देखने की बात होगी कि क्या चीन का भी इस मसले पर हृदय परिवर्तन होगा? दूसरी ओर ब्रिक्स से अम्ेरिकी राष्ट्रपति भी एक प्रकार से खौफ खाए हैं। 

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल देशों ने जब अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हालिया हमले और डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ व्यापार शुल्क (टैरिफ) से वैिक व्यापार पर बुरा असर पड़ने की बात कही और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने नाटो की तरफ से सैन्य खर्च बढ़ाने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि शांति की तुलना में युद्ध में निवेश करना हमेशा आसान होता है तो इसे लेकर अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप भड़क गए। उन्होंने ब्रिक्स देशों को नई चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिका की विरोधी नीति का समर्थन करते हैं तो उन पर 10 फीसद अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इसमें दो राय नहीं कि ब्रिक्स शिखर सम्मेमलन का तेजी से बदलते वैिक घटनाक्रम में अत्यंत महत्त्व है और यह समूह बहुध्रुवीय वि के निर्माण के साथ-साथ ग्लोबल साउथ की मजबूत आवाज बनता जा रहा है और जिसका भारत बराबर पैरोकार रहा है। इसलिए आने वाले समय में भारत की ब्रिक्स में बढ़ती भूमिका स्वयंसिद्ध है। देखना है, अगले वर्ष भारत की अध्यक्षता में होने वाला ब्रिक्स आगे क्या रूप लेता है?

एससीओ और क्वाड के बाद एक बार फिर 67 जुलाई 2025 को ब्राजील के रियो डि जिनेरियो में आयोजित दो दिवसीय 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलनमें 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम  हुए आतंकवादी घटना की गूंज सुनाई दी। उल्लेखनीय है कि लगभग 15 दिनों के भीतर ये तीनों सम्मेलन आयोजित किए गए और भारत ने ऑपरेशन सिन्दूर के बाद पहली बार इन सम्मेलनों में भाग लिया था। 

इस बार ब्रिक्स सम्मेलन ब्राजील की मेजबानी में हुआ, जिसमें पुराने 5 देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के अलावा नये सदस्य देशों मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई और इंडोनेशिया ने हिस्सा लिया। ब्राजील ने 1 जनवरी, 2025 को ब्रिक्स की अध्यक्षता संभाली थी। इस बार की थीम रही-‘समावेशी और टिकाऊ वैिक शासन के लिए ग्लोबल साउथ का सहयोग मजबूत करना’ हालांकि, चीन के किगदाओ शहर में आयोजित एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साझा बयान में पहलगाम की घटना का उल्लेख न होने की वजह से उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। इसलिए वह बयान जारी नहीं हो सका, लेकिन क्वाड के विदेश मंत्रियों की अमेरिका में आयोजित बैठक के बाद क्वाड के साझा बयान में पहलगाम साजिशकर्ताओं, हमलावरों और फंडिंग करने वालों को सजा दिलाने की मांग की गई और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से आह्वान किया गया है कि वे जिम्मेदार लोगों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मिलकर काम करें।

निश्चित तौर पर एससीओ, क्वाड तथा ब्रिक्स के  शिखर सम्मेलन  भारत के लिए जहां कूटनीतिक जीत है, वहीं पाकिस्तान और चीन के लिए एक झटका क्योंकि आतंकवाद के मुद्दे पर ये दोनों देश बेनकाब हुए हैं। ब्रिक्स  देशों के नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से निपटने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए ब्रिक्स घोषणा-पत्र में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। यही नहीं, ब्रिक्स नेताओं ने आतंकवादियों की सीमापार आवाजाही, इसके वित्त-पोषण और सुरक्षित ठिकानों सहित सभी रूपों तथा अभिव्यक्तियों में आतंकवाद से निपटने के लिए भी अपनी वचनबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी ने आतंकवाद को मानवता के समक्ष सर्वाधिक गंभीर चुनौती बताते हुए कहा कि आतंकवाद के शिकार लोगों और इसे शह देने वालों को एक स्तर पर नहीं रखा जा सकता। प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए।

मोदी का यह कथन महत्त्वपूर्ण है कि पहलगाम घटना भारत की आत्मा, पहचान और सम्मान पर घातक हमला था, आगे उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल भारत पर किया गया हमला नहीं था, बल्कि पूरे मानवता पर किया गया प्रहार था। आतंकवाद की बर्बरता पर जीरो टॉलरेंस की मांग करते हुए उन्होंने सूचित किया कि आतंकवादी संगठनों पर कड़ी पाबंदी लगाई जानी चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत हमेशा संवाद और राजनीतिक मार्ग द्वारा ही अंतरराष्ट्रीय मसलों के समाधान पर अमल करेगा, जिससे वैिक शांति बनी रहे। इसके अलावा, मोदी ने ब्रिक्स साझेदार देशों के साथ ‘बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और आर्टििफशियल इंटेलिजेंस’ पर आयोजित संपर्क सत्र में भाग लेते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, बहुध्रुवीय और समावेशी वि व्यवस्था  के निर्माण पर बल दिया। जहां तक आतंकवाद का प्रश्न है, अभी तक चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने वीटो का प्रयोग पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को बचाने के लिए ही किया है। अब जिस प्रकार से एससीओ, क्वाड तथा ब्रिक्स में आतंकवाद को समूल नाश करने की प्रतिबद्धता सदस्य देशों ने व्यक्त की है, देखने की बात होगी कि क्या चीन का भी इस मसले पर हृदय परिवर्तन होगा? दूसरी ओर ब्रिक्स से अम्ेरिकी राष्ट्रपति भी एक प्रकार से खौफ खाए हैं। 

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल देशों ने जब अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हालिया हमले और डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ व्यापार शुल्क (टैरिफ) से वैिक व्यापार पर बुरा असर पड़ने की बात कही और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने नाटो की तरफ से सैन्य खर्च बढ़ाने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि शांति की तुलना में युद्ध में निवेश करना हमेशा आसान होता है तो इसे लेकर अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप भड़क गए। उन्होंने ब्रिक्स देशों को नई चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिका की विरोधी नीति का समर्थन करते हैं तो उन पर 10 फीसद अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इसमें दो राय नहीं कि ब्रिक्स शिखर सम्मेमलन का तेजी से बदलते वैिक घटनाक्रम में अत्यंत महत्त्व है और यह समूह बहुध्रुवीय वि के निर्माण के साथ-साथ ग्लोबल साउथ की मजबूत आवाज बनता जा रहा है और जिसका भारत बराबर पैरोकार रहा है। इसलिए आने वाले समय में भारत की ब्रिक्स में बढ़ती भूमिका स्वयंसिद्ध है। देखना है, अगले वर्ष भारत की अध्यक्षता में होने वाला ब्रिक्स आगे क्या रूप लेता है?

गिरीश पांडे


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