दिल्ली उच्च न्यायालय ने कन्हैया लाल हत्या मामले पर आधारित ‘उदयपुर फाइल्स’ के निर्माता को निर्देश दिया कि वह फिल्म पर प्रतिबंध का अनुरोध करने वालों के लिए इसकी ‘स्क्रीनिंग’ की व्यवस्था करें।

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निर्माताओं द्वारा फिल्म से आपत्तिजनक अंश हटा दिए जाने का दावा करने के बाद अदालत का यह निर्देश आया है।
पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें दावा किया गया था कि फिल्म से देश में सांप्रदायिक तनाव भड़क सकता है और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित हो सकती है।
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने निर्माताओं को याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील के लिए बुधवार को ही ‘स्क्रीनिंग’ की व्यवस्था करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार तक स्थगित कर दी।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने अदालत को बताया कि फिल्म के आपत्तिजनक हिस्सों को हटा दिया गया है, जिसके बाद पीठ ने यह निर्देश पारित किए।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी द्वारा दायर एक याचिका सहित कई याचिकाओं में दावा किया गया है कि 26 जून को जारी फिल्म के ट्रेलर में ऐसे संवाद और उदाहरण थे जिनकी वजह से 2022 में सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा हुआ था और इससे फिर से वही सांप्रदायिक भावनाएं भड़कने की आशंका है।
उदयपुर के एक दर्जी कन्हैया लाल की जून 2022 में कथित तौर पर मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने हत्या कर दी थी।
हमलावरों ने बाद में एक वीडियो जारी किया था जिसमें दावा किया गया था कि पूर्व भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादास्पद टिप्पणी के बाद उनके समर्थन में दर्जी कन्हैया लाल शर्मा के सोशल मीडिया खाते पर कथित तौर पर साझा किए एक पोस्ट के जवाब में उसकी हत्या की गई थी।
इस मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने की थी और आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के अलावा कठोर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
यह मुकदमा जयपुर की विशेष एनआईए अदालत में लंबित है।
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