श्री श्री की आशंकाएं SC और मुसलमानों के लिये धमकी: AIMPLB
ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के अदालत के जरिये हल निकलने पर मुल्क में सीरिया जैसे हालात बनने की आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की आशंकाओं को सुप्रीम कोर्ट और मुसलमानों के लिये धमकी करार दिया.
![]() श्री श्री रविशंकर (फाइल फोटो) |
बोर्ड ने कहा कि वह अब भी इस मसले में अदालत का ही फैसला मानने के रुख पर कायम है.
एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बताया कि वह रविशंकर द्वारा कल बोर्ड को लिखे गये पत्र के बारे में बोर्ड के साथियों से मशविरे के बाद ही कोई बयान देंगे लेकिन रविशंकर का यह कहना कि मुसलमान बाबरी मस्जिद से अपना दावा छोड़ दें, क्योंकि अदालत के फैसले से हिन्दुस्तान में सीरिया जैसे हालात बन जाएंगे, यह मुल्क की सलामती पर हमला है. साथ ही यह सुप्रीम कोर्ट और मुसलमानों दोनों के लिये धमकी है.
उन्होंने कहा कि जहां तक बोर्ड का सवाल है तो उसका रुख पहले से ही स्पष्ट है कि अयोध्या विवाद में अदालत का फैसला सबको मानना चाहिये.
अदालत के फैसले के बाद देश में साम्प्रदायिक हिंसा होने सम्बन्धी रविशंकर की आशंकाओं के बारे में पूछे जाने पर एआईएमपीएलबी महासचिव ने कहा कि श्री श्री धर्मगुरु हैं. अगर उन्हें देश में खून-खराबे की आशंका है तो वह रहनुमाओं को जमा करके कोई उपाय निकालें, ताकि अदालत के फैसले के बाद साम्प्रदायिक संघर्ष के हालात ना पैदा हों.
मालूम हो कि अयोध्या विवाद का बातचीत मे जरिये हल निकालने की कोशिश कर रहे ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के श्री श्री रविशंकर ने कल एआईएमपीएलबी के अध्यक्ष और सभी सदस्यों को लिखे पत्र में इस मसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद के सम्भावित हालात का जिक्र किया था.
उन्होंने पत्र में कहा था कि अगर कोर्ट पुरातात्विक प्रमाणों के आधार पर हिन्दुओं के पक्ष में निर्णय देगा तो इससे मुसलमानों के अंदर मुल्क की विधिक व्यवस्था को लेकर गम्भीर आशंका पैदा हो जाएंगी जो सदियों तक बरकरार रहेगी.
रविशंकर ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट मुसलमानों के पक्ष में फैसला देता है तो यह हिन्दू समुदाय के लिये गम्भीर निराशा का विषय होगा, क्योंकि यह उस आस्था से सम्बन्धित होगा, जिसके लिये वह पिछले 500 वर्षों से लड़ रहे हैं. इससे पूरे देश में साम्प्रदायिक तनाव पैदा होगा.
उन्होंने पत्र में कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा सुनाये गये फैसले को बरकरार रखता है तो मस्जिद एक एकड़ क्षेत्र में बनेगी और 60 एकड़ में मंदिर का निर्माण होगा. इससे सुरक्षा के लिये जोखिम पैदा होगा और यह भी किसी भी तरह से मुस्लिम पक्ष के लिये ठीक नहीं होगा.
रविशंकर ने कहा कि अगर सरकार कानून लाकर मंदिर का निर्माण करती है तो भी मुस्लिम पक्ष खुद को पराजित मानेगा.
उन्होंने पत्र में कहा कि किसी भी हाल में अदालत या सरकार के माध्यम से मसले का हल निकाले जाने के नतीजे बेहद खराब होंगे, लिहाजा अदालत के बाहर समझौता करना सबसे बेहतर होगा. इसमें मुस्लिम पक्ष आगे आकर हिन्दू पक्ष को विवादित स्थल उपहार के रूप में दे दे. बदले में उन्हें मुस्लिम आबादी वाले इलाके में बेहतर मस्जिद बनाने के लिये पांच एकड़ जमीन दे दी जाएगी. इससे हिन्दुओं और मुसलमानों के लिये खुशनुमा परिस्थितियां होंगी और इस भाईचारे को सदियों तक याद किया जाएगा.
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