ऐसी सख्ती जरूरी
कोरोना महामारी पर विजय पाने के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति अपनी निर्धारित जिम्मेवारी का पूरी तरह पालन करे।
ऐसी सख्ती जरूरी |
इसमें महत्त्वपूर्ण पदों पर कायम अधिकारियों की जिम्मेवारी ज्यादा बढ़ गई है। जाहिर है, यदि वो कोताही बरतते हैं तो उसका दुष्परिणाम असंख्य लोगों को भुगतना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा यात्रा के दौरान अधिकारियों की बैठक में जिस तरह जिलाधिकारी से अप्रसन्नता व्यक्त की वह स्वाभाविक था। अंतत: जिलाधिकारी को छुट्टी पर जाना पड़ा। वस्तुत: उत्तर प्रदेश में जितने मामले आए थे, उसमें अकले 70 प्रतिशत से ज्यादा मामले नोएडा के ही थे। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ का दायित्व था कि वो स्वयं आकर हालात का जायजा लें। किसी जिले में जिलाधिकारी सबसे शक्तिशाली अधिकारी होता है। जिलाधिकारी केवल दूसरे लोगों की शिकायत करते पाए गए। जो लोग दिल्ली से पलायन कर रहे थे वो भी पहले नोएडा ही गए और नोएडा से भी भारी संख्या में पलायन होने लगा। इसे रोकने के लिए बाजाब्ता लिखिज आदेश आया था, जिसमें क्या करना है यह भी बताया गया था। नोएडा प्रशासन इसका पालन करने में विफल रहा। मुख्यमंत्री ने जिस तरह से अधिकारियों को सख्त निर्देश देने के साथ बिल्कुल स्पष्ट कहा कि सबकी जिम्मेवारी तय है उसके बाद माना जाना चाहिए कि अन्य जिलों में भी इसका स्पष्ट संदेश जाएगा।
वस्तुत: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी दो दिनों पहले साफ कर दिया था कि अगर लोगों का पलायन हुआ या पलायन करते लोगों की उचित व्यवस्था नहीं हुई तो इसकी जिम्मेवारी जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक की होगी। दिल्ली में लोगों के पलायन को रोकने में विफल कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई। कोरोना का खतरा इतना बड़ा है, इसमें किसी स्तर पर छोटी सी ढील भयंकर प्रकोप का कारण बन सकता है। भारत में यदि एक बार स्थिति से नियंत्रण हटी तो फिर कितने लोग संक्रमित होंगे और कितने काल की गाल में समा जाएंगे इसकी कल्पना से ही मन सिहर जाता है। यह बात सही है कि कई स्थानों पर कोताही बरती गई। इनमें दिल्ली से नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, फरीदाबाद, गुरु ग्राम जैसे अनेक जगह शामिल हैं। उम्मीद करनी चाहिए कि योगी आदित्यनाथ की शून्य सहिष्णुता तथा केंद्रीय गृह मंत्रालय का स्पष्ट निर्देश का सकारात्मक असर होगा।
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