विधायक उमा शंकर की सदस्यता समाप्ति का आदेश
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने शनिवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक उमाशंकर सिंह की विधानसभा की सदस्यता खत्म करने के आदेश दे दिये.
(फाइल फोटो) |
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने शनिवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक उमाशंकर सिंह की विधानसभा की सदस्यता खत्म करने के आदेश दे दिये.
राजभवन से जारी एक बयान के अनुसार निर्वाचन आयोग से बलिया जिले की रसड़ा सीट से विधायक चुने गये उमाशंकर सिंह की सदस्यता के संबंध में गत 10 जनवरी को मिली राय के आधार पर राज्यपाल ने अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुये सिंह की विधानसभा की सदस्यता उनके विधायक निर्वाचित होने की तारीख छह मार्च, 2012 से समाप्त करने का निर्णय किया है.
सिंह पर विधायक बनने के बाद भी सरकारी ठेके लेने का आरोप था. बयान के अनुसार सुभाष चन्द्र सिंह नामक वकील ने 18 दिसम्बर, 2013 को शपथ पत्र देकर बसपा विधायक उमा शंकर सिंह के विरूद्ध लोकायुक्त के समक्ष शिकायत करते हुये आरोप लगाया था कि विधायक निर्वाचित होने के बाद भी सिंह सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का कार्य कर रहे थे.
तत्कालीन लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन. के. मेहरोत्रा ने प्राप्त शिकायत की जांच में सिंह को दोषी पाते हुये 18 फरवरी 2014 को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजी थी. मुख्यमंत्री ने 19 मार्च, 2014 को यह मामला निर्वाचन आयोग के परामर्श के लिये राज्यपाल को भेजा था. तत्कालीन राज्यपाल ने यह मामला तीन अपैल, 2014 को आयोग के पास भेज दिया था.
बयान के मुताबिक निर्वाचन आयोग से तीन जनवरी 2015 को अभिमत मिलने पर राज्यपाल ने सिंह का पक्ष जानने के बाद उन पर लगे आरोपों को सही पाते हुये 29 जनवरी, 2015 को उन्हें विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य घोषित कर दिया था.
इस पर सिंह ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिस पर 28 मई, 2015 को निर्णय देते हुये न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग प्रकरण में खुद तेजी से जांच करके राज्यपाल को अपने निर्णय से अवगत कराये और उसके बाद राज्यपाल प्रकरण में संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत अपना निर्णय लें.
बाद में, गत 10 जनवरी को आयोग का अभिमत प्राप्त होने पर राज्यपाल ने सिंह की सदस्यता समाप्त करने का आदेश दिया. इसकी प्रति निर्वाचन आयोग, विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी भेजी है.
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