मुलायम और अखिलेश की चुनाव आयोग में दलील हुई पूरी, साइकिल पर सस्पेंस, फैसला रिजर्व
साइकिल चुनाव चिह्न पर समाजवादी पार्टी के किस धड़े का हक है अभी इस पर सस्पेंस बना हुआ है. पार्टी किसकी और चुनाव चिह्न साइकिल किसका?
![]() मुलायम और अखिलेश की चुनाव आयोग में दलील हुई पूरी |
इस पर दोनों धड़ों के दावे को लेकर चुनाव आयोग में शुक्रवार को दोनों पक्षों की दलीलों के साथ सुनवाई हुई. चुनाव आयोग में मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अधिवशेन अवैध था, इसलिए पार्टी मेरी और साइकिल भी मेरी. इसके उलट रामगोपाल यादव ने कहा कि पार्टी के 90 फीसद विधायक व प्रतिनिधि अखिलेश के साथ, इसलिए पार्टी और साइकिल दोनों अखिलेश यादव की. चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों के दावे और दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. आयोग सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाएगा.
सपा में मचे घमासान और चुनाव चिह्न साइकिल पर दोनों पक्ष मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव चुनाव आयोग में अपना-अपना दावा पेश पर रहे हैं. बीते दिनों दोनों पक्षों ने पार्टी और चुनाव चिह्न साइकिल पर अपनी दावेदारी को लेकर दावे और दस्तावेज पेश किए थे.
अखिलेश गुट ने क्या दी दलील : सुबह 12 बजे जब सुनवाई शुरू हुई पार्टी के 90 फीसद विधायक, विधान परिषद सदस्य, सांसद और प्रतिनिधि उनके साथ हैं. इस आधार पर अखिलेश गुट की तरफ से पेश प्रतिनिधियों ने अपने पक्ष में चुनाव चिह्न आवंटित करने की गुजारिश की.
मुलायम सिंह का पक्ष : इसके बाद दोपहर तीन बजे के बाद पार्टी और ‘साइकिल’ पर दावेदारी को लेकर मुलायम सिंह यादव ने चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखा. मुलायम सिंह यादव ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 25 वर्ष पूर्व उन्होंने ही पार्टी का गठन किया था.
साथ ही जिस दलील के आधार पर दूसरा पक्ष पार्टी को अपना बताया है, वह अवैध है. 30 दिसम्बर को पार्टी से रामगोपाल यादव को निष्कासित कर दिया गया था. लिहाजा एक जनवरी को बुलाया गया अधिवेशन अवैध है. ऐसे में उस अविधेशन का कोई औचित्य नहीं है.
फैसला सोमवार को : चुनाव आयोग में दोनों पक्षों की चली पांच घंटे की सुनवाई के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पत्रकारों को बताया कि चुनाव आयोग ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया है. चुनाव आयोग सोमवार को फैसला सुनाएगा. इसके बाद ही तय होगा कि ‘साइकिल’ किधर जाती है या ‘साइकिल’ को फ्रीज कर दिया जाता है.
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