राजस्थान में कांग्रेस का 'मिशन रिपीट', क्या गहलोत होंगे रिपीट ?
राजस्थान में 'मिशन रिपीट' के टारगेट को पूरा करने के लिए कांग्रेस कुछ भी करने को तैयार है। जिन मंत्रियों और विधायकों की परफॉर्मेंस ठीक नहीं है, उनका टिकट काटने में पार्टी कोई कोताही नहीं बरतने वाली है।
![]() Sachin Pilot, Ashok gahlot |
पार्टी ने टिकट वितरण से पहले अलग-अलग एजेंसियों से पांच सर्वे कराएं हैं। पार्टी को लगभग ढाई दर्जन नेताओं की रिपोर्ट ठीक नहीं मिली है। यानि आगामी विधान सभा चुनाव में इतने नेताओं का नाम काटना तय है। ऐसे में इस बार राजस्थान कांग्रेस के दिगज्जों के लिए बुरी खबर है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि इस बार टिकट वितरण में अशोक गहलोत की ज्यादा चलेगी या फिर सचिन पायलट की। जबसे कांग्रेस कार्य समिति यानि सीडब्ल्यूसी में सचिन पायलट की एंट्री हुई है, तबसे यही माना जा रहा है कि कांग्रेस के लिए सचिन पायलट एक महत्वपूर्ण नेता बन चुके हैं। वैसे भी राजस्थान में कांग्रेस के पास सचिन पायलट से बड़ा चेहरा कोई नहीं है। फिलहाल कांग्रेस को लगभग 33 सीटों पर नेगेटिव रिपोर्ट मिली है।
राजस्थान की 200 सीटों वाली विधानसभा का चुनाव इसी वर्ष नवम्बर में होना है। कांग्रेस किसी भी सूरत में अपनी सरकार बचाए रखना चाहती है। पार्टी के पर्यवेक्षक लगातार वहां बैठकें कर स्थिति का जायजा ले रहे हैं। पार्टी ने टिकट वितरण से पहले सर्वे कराकर यह जानने की कोशिश की है कि वर्तमान विधायकों ,मंत्रियों या पूर्व विधायक, जो टिकट की दावेदारी कर सकते हैं, उनकी जमीनी हकीकत क्या है। यह जानने के लिए जो सर्वे कराए गए हैं, उसके मुताबिक़ इस बार कई मंत्रियों के टिकट काटे जा सकते हैं। साथ ही साथ दो दर्जन से ज्यादा वर्तमान विधायकों को इस बार टिकट नहीं मिलेगा।
वैसे भी कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में 100 चेहरे बदले थे, जिनमें से 90 नए चेहरों को टिकट दिया गया था । कांग्रेस को उस समय सफलता भी मिली थी। हालांकि कुछ माह पहले तक राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच उत्पन्न हुए विवाद से पार्टी को नुकसान होने की संभावनाएं दिखने लगी थीं, लेकिन पार्टी हाई कमान ने बड़ी चतुराई से उन दोनों के बीच के विवाद को सुलझा लिया था। अब सचिन पायलट भी सक्रीय होकर पार्टी लाइन पर चलने लगे हैं, जबकि कुछ महीने पहले तक ऐसा लग रहा था कि वो अशोक गहलोत से बेहद खफा हैं।
कांग्रेस ने जिस तरीके से राजस्थान में अपनी सरकार रिपीट करने की योजना बनाई है, संभव है कि उसमें वो सफल भी हो जाए, लेकिन सवाल यह है कि इस बार राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? पिछले चुनाव में भी सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनने पर अड़े हुए थे, लेकिन किसी तरह उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाकर मना लिया गया था। इस बार परिस्थितियां दूसरी हैं। हालांकि अशोक गहलोत इस बार सार्वजनिक रूप से बयान दे चुके हैं कि वह तो कुर्सी छोड़ना चाहते हैं लेकिन कुर्सी ही उन्हें नहीं छोड़ती है। ऐसे में यही माना जा रहा है कि इस बार सचिन पायलट के सिर पर सत्ता का सेहरा बन्ध सकता है, लेकिन अशोक गहलोत ठहरे जादूगर। अगर आखिर में उन्होंने कोई जादूगरी कर दी तो वहां कुछ भी हो सकता है।
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