नीतीश कटारा हत्याकांड मामले में दोषी विकास यादव को झटका, अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने से SC ने किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्या मामले में 25 साल की जेल की सजा काट रहे दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने से सोमवार को इनकार कर दिया।
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न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यादव के वकील से कहा कि वह मामले में अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने या नयी अंतरिम जमानत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करें।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान वकील ने जोर देकर कहा कि उन्हें उच्च न्यायालय भेजने के बजाय शीर्ष अदालत स्वयं उनकी जमानत अवधि बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई करे।
जब पीठ ने संकेत दिया कि वह याचिका खारिज कर देगी, तो यादव के वकील ने कहा कि वह उच्च न्यायालय का रुख करेंगे।
इससे पहले, पीठ ने यादव की अंतरिम जमानत एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी थी।
शीर्ष अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय के 22 अगस्त के आदेश के खिलाफ यादव द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 29 जुलाई को शीर्ष अदालत द्वारा दी गई उनकी अंतरिम जमानत को बढ़ाने से इनकार कर दिया गया था।
गत सोमवार को सुनवाई शुरू होते ही न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। पीठ ने हालांकि यादव की अंतरिम जमानत की अवधि एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी।
यादव (54) 23 साल से अधिक समय जेल में बिता चुका है। उसने इस आधार पर अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था कि उसकी शादी पांच सितंबर को होनी है और उसे सजा सुनाए जाने के समय उस पर लगाए गए 54 लाख रुपये के जुर्माने का इंतजाम करना है।
यादव उत्तर प्रदेश के नेता डी. पी. यादव का बेटा है। विकास यादव के चचेरे भाई विशाल यादव को भी कटारा के अपहरण और हत्या के लिए सजा सुनायी गई थी।
विकास यादव और विशाल यादव विकास की बहन भारती यादव के साथ कटारा के कथित संबंधों के खिलाफ थे।
एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 साल की जेल की सजा सुनायी गई थी। उच्चतम न्यायालय ने 29 जुलाई को यह कहते हुए उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया कि उसने अपनी 20 साल की सजा इस साल मार्च में पूरी कर ली है।
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