Vice President Poll: राधाकृष्णन या रेड्डी, मंगलवार को तय होगा कि कौन बनेगा उप राष्ट्रपति
Vice President Election: उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कल यानी मंगलवार को वोटिंग होने वाली है। यहां एनडीए कैंडिडेट सीपी राधाकृष्णन और इंडिया गठंबधन के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला है।
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लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मंगलवार को अपने वोट के माध्यम से यह फैसला करेंगे कि सीपी राधाकृष्णन और बी सुदर्शन रेड्डी में से देश का अगला उप राष्ट्रपति कौन होगा।
राधाकृष्णन, सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार हैं, जिनका सीधा मुकाबला विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी सुदर्शन रेड्डी से है।
उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान मंगलवार 9 सितंबर को सुबह 10 बजे शुरू होगा और शाम 5 बजे समाप्त होगा। मंगलवार देर शाम तक नतीजे घोषित होने की उम्मीद है।
उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचन अधिकारी राज्यसभा महासचिव पी. सी. मोदी ने कहा है कि मतदान मंगलवार को संसद भवन के कमरा संख्या एफ-101, वसुधा में होगा।
देश के 17वें उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए, निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में पांच सीटें रिक्त हैं), तथा 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में एक सीट रिक्त है) शामिल हैं।
निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य (वर्तमान में 781) हैं।
इस बार दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं। राधाकृष्णन तमिलनाडु से, जबकि रेड्डी तेलंगाना से हैं।
संसद के हालिया मानसून सत्र के दौरान जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि उनका कार्यकाल दो साल बचा हुआ था। इनके इस्तीफे के कारण यह चुनाव हो रहा है।
विभिन्न दलों द्वारा दिए गए समर्थन को आधार बनाकर आंकड़ों के लिहाज से देखें तो राजग उम्मीदवार का पलड़ा भारी है, हालांकि विपक्ष के उम्मीदवार रेड्डी बार-बार यह कहकर अपनी दावेदारी को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं कि लड़ाई वैचारिक है तथा यह मतदान सिर्फ उप राष्ट्रपति चुनने के लिए नहीं है, बल्कि भारत की भावना के लिए है।
उप राष्ट्रपति पद के राजग उम्मीदवार राधाकृष्णन तमिलनाडु की एक प्रमुख ओबीसी जाति गौंडर से आते हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि से हैं।
राधाकृष्णन को 2023 में झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था और फिर जुलाई 2024 में महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया था।
अपने पूर्ववर्ती धनखड़ के विपरीत, राधाकृष्णन ने राज्यपाल के रूप में विवादास्पद राजनीतिक मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने से काफी हद तक परहेज किया है।
धनखड़ भी 2022 में राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित होने से पहले उनके जैसे ही राज्यपाल थे। वह 1998 में कोयंबटूर से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और 1999 में वह फिर से इस सीट से लोकसभा के लिए चुने गए।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों एक बैठक में राधाकृष्णन की सादगी भरी जीवनशैली और विभिन्न पदों पर रहते हुए जनसेवा के प्रति उनके समर्पण की सराहना की और कहा कि राधाकृष्णन को खेलों में काफी रुचि हो सकती है लेकिन वह राजनीति में खेल नहीं खेलते।
विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार रेड्डी उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं और गोवा के लोकायुक्त रहे हैं। वह हैदराबाद स्थित अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थम् एवं मध्यस्थता केंद्र के न्यासी बोर्ड के सदस्य भी हैं।
पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने बतौर न्यायाधीश रेड्डी द्वारा सलवा जुडूम के मामले में दिए गए फैसले को लेकर उन पर निशाना साधा था।
शाह ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पर नक्सलवाद का ‘‘समर्थन’’ करने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि अगर सलवा जुडूम पर फैसला नहीं आता, तो वामपंथी उग्रवाद 2020 तक ही खत्म हो गया होता।
सलवा जुडूम के फैसले को लेकर अमित शाह द्वारा उन पर किए गए हमले पर रेड्डी ने कहा था कि यह उनका फैसला नहीं था, बल्कि उच्चतम न्यायालय का था तथा शाह को 40 पृष्ठों का फैसला जरूर पढना चाहिए।उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि अगर उन्होंने (शाह ने) फैसला पढ़ा होता, तो शायद वह यह टिप्पणी नहीं करते।
रेड्डी ने रविवार को सांसदों से अपील की कि वे पार्टी के प्रति निष्ठा को अपने चयन का आधार न बनने दें और उन्हें इस पद के लिए जिताकर यह सुनिश्चित करें कि राज्यसभा लोकतंत्र के एक सच्चे मंदिर के रूप में स्थापित हो।
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