पायलट के बगावती तेवरों ने फिर उड़ाई कांग्रेस नेतृत्व की नींद

Last Updated 12 Apr 2023 09:45:15 AM IST

राजस्थान में विधानसभा के चुनाव से ठीक पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बगावती तेवरों ने कांग्रेश नेतृत्व की नींद एक बार फिर से उड़ा दी है जिस तरह से वह अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ आज अनशन पर बैठे और उन्होंने जो तेवर अपनाए उससे एक बात साफ है कि राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) व सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच की तकरार अभी थमने वाली नहीं है कांग्रेस (Congress) पार्टी नेतृत्व की सबसे बड़ी चिंता यही है कि चुनाव से ऐन पहले राज्य के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच की तनातनी कहीं राजनीतिक नुकसान की वजह ना बन जाए।


अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) व सचिन पायलट (Sachin Pilot) (फाइल फोटो)

काग्रेस नेतृत्व की दुविधा यह है कि भले ही वह पायलट के इस कृत्य को पार्टी विरोधी बता रही है लेकिन चुनावी साल में राज्य के इतने बड़े नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई करना पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर न केवल बुरा असर डाल सकती है बल्कि पायलट को नई राह पकड़ने की तरफ भी प्रेरित कर सकती है।

ऐसे में कोशिश की जा रही है की पायलट व गहलोत के बीच कोई ऐसा रास्ता निकाला जाए जिससे दोनों मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की नैया पार  लगाएं। इसके अलावा सचिन पायलट में जो मुद्दा उठाया है वह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है ऐसे में सचिन पायलट के खिलाफ की गई कोई भी कार्रवाई पहले से ही भ्रष्टाचार के मामले पर मोदी के निशाने पर चल रही कांग्रेस पार्टी के लिए गलत संदेश जाएगा।

पार्टी के सूत्रों की माने तो पार्क कांग्रेश आलाकमान पायलट के आज के कदम से खुश नहीं है लेकिन वह पायलट के खिलाफ किसी बड़ी कार्रवाई के मूड में भी नहीं दिख रहा है। पार्टी में कुछ नेता यह मानकर भी चल रहे हैं कि सचिन पायलट चुनाव से पहले दबाव की राजनीति बनाकर अपने पक्ष में फैसला करवाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

कांग्रेस में तक की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि ना तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकने की स्थिति में है और ना ही सचिन पायलट के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई। बीच का रास्ता निकालने की कोशिशों के तहत एक संभावना यह भी बन रही है कि पायलट के बगावती तेवरों को शांत करने के लिए उन्हें यह आासन दिया जाए कि विधानसभा चुनाव में पार्टी के चेहरे के रूप में उन्हें आगे किया जाएगा माना जा रहा है इसके बाद सचिन पायलट के तेवर शांत हो सकते हैं।

यदि चुनाव तक गहलोत व पायलट के बीच में तनातनी चलती रही तो इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ेगा ऐसे में बीच का रास्ता निकालने की ज्यादा जरूरत है। इससे पहले सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी द्वारा दी गई चेतावनी को दरकिनार करते हुए मंगलवार को पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की मांग को लेकर एक दिवसीय ‘अनशन‘ किया।

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment