एमएसपी कानून के बोझ का भार नहीं सह सकती सरकार, किसानों ने सरकार से कहा, उसका गणित कमजोर फिर से लगाए हिसाब
सरकार ने किसानों को कहा है कि न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी का कानून इसलिए नहीं बनाया जा सकता है क्योंकि इस पर आने वाले बड़े वित्तीय बोझ का भार वह नहीं सह सकती।
![]() बृहस्पतिवार को किसान आंदोलन में सिघु बार्डर पर शामिल महिला किसान। |
हालांकि किसानों ने सरकार को कहा है कि इस मामले में उसका गुणा-भाग कच्चा है, इसका फिर से आकलन किया जाए। सरकार में एक विचार यह भी है कि क्यों न इस पर एक समिति बनाकर एमएसपी पर आने वाले खर्च का अनुमान लगाया जाए।
कहा जा रहा है कि सरकार इस तरह से किसानों को एमएसपी के मुद्दे पर अभी सिर्फ लिखित गारंटी देकर मना सकती है।किसान भी इस मुद्दे पर वरिष्ठ वकीलों से परामर्श कर रहे हैं। अभी किसान नरमी के साथ अपने आंदोलन के कार्यक्रम चलाएंगे और जनता का विश्वास बढ़ाने का प्रयास करेंगे। इसी क्रम में जनसामान्य से आग्रह किया है कि वह प्रदर्शनकारियों के बीच नए साल का जश्न मनाए। इसके लिए डेढ़ लाख व्यक्तियों के भोजन का इंतजाम किया जा रहा है। वहीं छात्रों से अपील की जा रही है कि वह पढ़ाई के साथ-साथ किसान और मजदूर को एकजुट करने का अभियान चलाएं। यह अभियान सोशल मीडिया के जरिए भी चला सकते हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से वार्ता के बाद यही प्रतिक्रिया दी है कि पराली अध्यादेश और विद्युत विधेयक के मसौदे पर सरकार का पीछे हटना संघीय ढांचे को सुरक्षित रखने और निजीकरण को रोकने सम्बंधी हमारी बड़ी जीत है। हालांकि किसान नेता कहते हैं कि सरकार भले ही इसे पचास प्रतिशत समाधान बताए पर यह सिर्फ 25 फीसद समाधान है। संयुक्त किसान मोर्चा ने भी कहा कि हमें यह स्मरण है कि हमारी मुख्य मांगों कृषि कानूनों को रदद कराने और एमएसपी कानून पर कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। मोच्रे ने यह भी कहा है कि अंबानी और अडानी के उत्पादों और सेवाओं का शांतिपूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। पंजाब में कुछ जगह जियो के मोबाइल टॉवरों को नुकसान पहुंचाने के बाद कानून व्यवस्था से जुड़ी समस्या पैदा होने के बाद किसानों ने यह नरमी दिखाई है। इस मोच्रे में शामिल कुछ किसान संगठनों ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार कृषि कानून रद्द करने के स्थान पर जो विकल्प सुझा रही है उसे स्वीकार करना असंभव है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति(एआईकेएससीसी) ने कहा है कि कृषि कानून कृषि बाजार,भूमि और खाद्यान्न पर कारपोरेट का नियंत्रण स्थापितकरने वाले हैं।
| Tweet![]() |