प. बंगाल में BJP और TMC के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी सियासी लड़ाई

Last Updated 16 May 2020 04:38:14 PM IST

जब देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई चल रही है, तब पश्चिम बंगाल में भाजपा और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के बीच सियासी जंग छिड़ी हुई है। दोनों दलों के छोटे से लेकर बड़े नेता एक दूसरे पर हमलावर हैं।


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (फाइल फोटो)

पश्चिम बंगाल की बैरकपुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने तो अपनी हत्या की साजिश रचे जाने का आरोप भी ममता बनर्जी सरकार पर लगा दिया। उधर, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि भाजपा इस संकट काल में राजनीति करने में जुटी है।

राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि पश्चिम बंगाल की सियासी लड़ाई सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है।

दरअसल, पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होना है। राज्य में कोरोना के बहाने तृणमूल कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच छिड़ी लड़ाई को चुनावी तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के हवाले पश्चिम बंगाल की कमान है। वह इन दिनों काफी आक्रामक तेवर अख्तियार किए हैं। हर दिन ममता बनर्जी पर चुन-चुनकर वार कर रहे हैं। कभी ट्वीट से निशाना साधते हैं तो कभी पत्र लिखकर ममता बनर्जी सरकार पर प्रवासी मजदूरों के प्रति संवेदनहीन रवैया अपनाने सहित कई तरह का इल्जाम मढ़ते हैं। अमित मालवीय के नेतृत्व में बीजेपी आईटी सेल ने तो मार्च से ही ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

2021 के विधानसभा चुनाव में कांटे की लड़ाई के आसार

2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने तीन दशक से पश्चिम बंगाल की सत्ता में काबिज लेफ्ट का सफाया कर दिया था। इस बीच भाजपा धीरे-धीरे अपने संगठन को मजबूत बनाने में जुटी रही। 2016 के विधानसभा चुनाव में भी कुछ खास गुल खिला न पाने वाली भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 42 में से 18 सीटें जीतकर चौंका दिया। वहीं ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को भाजपा से सिर्फ चार ज्यादा यानी 22 सीट मिलीं। जबकि 2014 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस कुल 42 में से 34 लोकसभा सीटें जीतने में सफल रहीं थी। लोकसभा चुनाव में भाजपा के इस जबर्दस्त उभार के बाद से ममता खेमे में एक हलचल शुरू हुई, नेताओं के टूटकर भाजपा में जाने का सिलसिला शुरू हुआ। यह बेचैनी आज तक जारी है।

दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में सफलता मिलने के बाद से भाजपा को भी लगने लगा कि और अधिक मेहनत करने पर 2021 में ममता बनर्जी को उसी तरह से सत्ता से बाहर किया जा सकता है, जिस तरह से कभी 2011 में ममता बनर्जी ने लेफ्ट को किया था। राज्य में लेफ्ट और कांग्रेस को पीछे छोड़कर भाजपा अब निर्विवाद रूप से नंबर दो की पार्टी बन चुकी है। 2019 में तीन सीटों के उपचुनाव में भी भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी थी। अब भाजपा का निशाना तृणमूल को धराशायी कर राज्य में नंबर वन पार्टी बनने का है। जबकि तृणमूल कांग्रेस की पूरी कोशिश भाजपा को रोकने की है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों दलों के बीच घट रहे फासले ने ही राज्य में सियासी लड़ाई को तेज कर दिया है। यही वजह है कि भाजपा और टीएमसी के लिए राज्य में लड़ाई प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है।

भाजपा के पश्चिम बंगाल के सेक्रेटरी रितेश तिवारी कहते हैं, "ममता बनर्जी के राज में पश्चिम बंगाल लेफ्ट के दौर में वापस चला गया है। गरीबी, बेकारी बढ़ रही है। हिंसा आम बात हो गई है। कोरोना से संकट की घड़ी में अस्पतालों में न इलाज है और ही क्वारंटाइन की व्यवस्था। जनता में भारी नाराजगी है और 2021 में जनता हिसाब चुकता करके रहेगी।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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