CJI ने 5 जजों की संविधान पीठ का गठन किया, चारों जजों के नाम गायब

Last Updated 16 Jan 2018 10:29:59 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई को लेकर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और चार सबसे वरिष्ठ जजों के बीच एक तरह से मतभेद उभरने के बीच सुप्रीम कोर्ट ने आज सीजेआई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ के गठन की घोषणा की जिसमें ये चारों जज शामिल नहीं हैं.




(फाइल फोटो)

चारों जजों- जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एम बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ में से किसी का नाम पांच जजों की संविधान पीठ के सदस्यों में नहीं है.

आधिकारिक जानकारी के अनुसार पांच जजों की पीठ में सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं. यह संविधान पीठ 17 जनवरी से कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई शुरू करेगी.

इस बीच अदालत के सूत्रों ने कहा कि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि सीजेआई ने आज उन चार जजों से मुलाकात की या नहीं जिन्होंने 12 जनवरी को संवाददाता सम्मेलन में सीजेआई के खिलाफ आरोप लगाये थे.

मंगलवार की कार्यसूची के अनुसार पांच जजों की पीठ आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले और सहमति से वयस्क समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के फैसले को चुनौती देने से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई करेगी.

इन्हीं जजों ने पिछले साल 10 अक्टूबर से संविधान पीठ के विभिन्न मामलों में सुनवाई की थी. इनमें प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच टकराव का मामला भी है.

पीठ केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओें के प्रवेश पर रोक के विवादास्पद मुद्दे पर भी सुनवाई करेगी और इस कानूनी सवाल पर सुनवाई फिर शुरू करेगी कि क्या कोई पारसी महिला दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी के बाद अपनी धार्मिक पहचान खो देगी.

संविधान पीठ अन्य जिन मामलों को देखेगी उनमें आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे किसी जनप्रतिनिधि के अयोग्य होने से संबंधित सवाल पर याचिकाएं भी हैं.

इन सभी मामलों को पहले सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पीठों को भेजा गया था.

मंगलवार की दैनिक कार्यसूची के अनुसार जस्टिस लोया की मौत के मामले में जांच की दो जनहित याचिकाएं न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है जिनके खिलाफ एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने सार्वजनिक रूप से आक्षेप लगाये थे.
 

 

भाषा


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