तलाक का मुकदमा लंबित होने पर भी महिलाओं को मिलेगी पारिवारिक पेंशन
केंद्र ने कहा है कि किसी दिवंगत केंद्रीय कर्मचारी की विवाहित बेटी के तलाक का मुकदमा लंबित होने पर भी वह पारिवारिक पेंशन की हकदार होगी और इसके लिए मुकदमे में फैसला आने का इंतजार नहीं किया जाएगा.
![]() (फाइल फोटो) |
अब तक नियमों के मुताबिक तलाकशुदा बेटियों को पारिवारिक पेंशन केवल तभी मिलती थी जब माता-पिता में से कम से कम किसी एक के जीवनकाल के दौरान किसी सक्षम अदालत ने तलाक का आदेश जारी किया हो.
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने हाल में नियमों को बदल दिया है जिससे कि अदालत में तलाक के मुकदमों का सामना कर रहीं इस तरह की महिलाओं को मदद मिल सके.
फैसला ऐसे समय आया है जब सरकार को विभिन्न स्तरों पर शिकायत मिल रही थी कि तलाक के मुकदमों को अंजाम तक पहुंचने में वर्षो लगते हैं.
मंत्रालय ने कहा कि ऐसे बहुत से मामले हैं जिनमें माता-पिता में से किसी एक या दोनों के जीवनकाल के दौरान किसी सरकारी कर्मचारी पेंशनभोगी की बेटी के तलाक का मुकदमा शुरू हुआ, लेकिन तलाक का आदेश आने तक माता-पिता दोनों में से कोई भी जीवित नहीं रहा.
इसने कहा, इस विभाग में व्यय विभाग के साथ विमर्श कर मामले की समीक्षा की गई और फैसला किया गया कि ऐसे मामलों में भी बेटी को पारिवारिक पेंशन मिलेगी जहां कर्मचारी पेंशनभोगी या उसके जीवनसाथी के जीवनकाल के दौरान किसी सक्षम अदालत में बेटी के तलाक के मुकदमे की प्रक्रिया शुरू हुई.
इसने कहा कि हालांकि पारिवारिक पेंशन के लिए अन्य पात्रता मानदंड भी पूरे होने चाहिए.
पारिवारिक पेंशन किसी दिवंगत सरकारी कर्मी के जीवनसाथी को या उसके आश्रित बच्चों को दी जाती है. कर्मचारी का कोई पुत्र न होने पर जीवनसाथी की मौत के बाद अविवाहित पुत्रियां पेंशन की हकदार होती हैं. पुत्री का विवाह होने की स्थिति में उसे पिता की आश्रित संतान नहीं माना जाता . यदि पुत्री किसी कारणवश अपने पति से तलाक ले तो वह पिता की पेंशन की हकदार होती है. इसमें भी अब इस कानूनी बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है कि पेंशन प्राप्त करने की उसकी पात्रता मुकदमे का फैसला आने के बाद ही तय होगी.
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