मोदी ने अफसरों को दिया मंत्र- काम का तरीका बदलें, बिना किसी डर के लें फैसले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जोर देकर कहा है कि सुधारों को लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी उनमें नहीं है. उन्होंने लोकसेवकों से कहा है कि वे आपस में समन्वय बढ़ाते हुए और एकसाथ मिलकर काम करें और बदलाव लाएं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
लोकसेवा दिवस के अवसर पर नौकरशाहों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि अब समय आ गया है कि कुछ हटकर सोचा जाए और सरकार एक नियामक की जगह सक्षम बनाने वाली इकाई के तौर पर सामने आए.
उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक इच्छाशक्ति सुधार ला सकती है लेकिन अफसरशाही का काम और जनता की भागीदारी बदलाव ला सकती है. हमें इन सबको एकसाथ लाना होगा.’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘सुधार के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी है. मुझमें इसकी कमी नहीं है बल्कि थोड़ी ज्यादा ही है.’’
मोदी ने नौकरशाहों का हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘मैं हमेशा आप लोगों के साथ हूं. सार्वजनिक हित में बिना किसी भय और पक्षपात के फैसले लें.’’
मोदी ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या उनका अनुभव एक बोझ बनता जा रहा है?
उन्होंने कहा कि अफसरशाही में पदक्रम एक समस्या है, जो कि औपनिवेशिक शासकों से आई है और ‘‘उसे मसूरी (जहां लोकसेवा अकादमी स्थित है) में छोड़कर नहीं आया जाता.’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की भूमिका बहुत प्रबल है लेकिन पिछले 15 साल में चीजें बदल गई हैं.
उन्होंने लोकसेवकों से जनता तक पहुंचकर उसके कल्याण के लिए सोशल मीडिया, ई-गवर्नेंस और मोबाइल गवर्नेंस का इस्तेमाल करने के लिए भी कहा.
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कश्मीर में चल रही गतिविधियों पर कहा कि हमारे जवान कश्मीर में बाढ़ आने पर लोगों की जान बचाते हैं, लोग उनके लिए तालियां बजाते हैं लेकिन बाद में हमारे फौजी पत्थर भी खाते हैं. पीएम ने कहा कि सभी को इस पर चिंतन-मनन करना चाहिए.
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