ज्योतिष शास्त्र
सूक्ष्म जीवाणु और बड़े जीवाणु का बड़ा संबंध है. प्रत्येक गृह एक विशेष अनाज, रंग, आकार पक्षी और जानवर के साथ जुड़े हुए हैं.
श्री श्री रविशंकर |
यह सभी जुड़े हुए हैं, यह शरीर के विशेष अंग से भी जुड़े हुए हैं. आपकी उंगलियां भी! क्या आपको पता है प्रत्येक ऊंगली विशेष गृह से जुड़ी हुई है? सूक्ष्म जगत और असूक्ष्म जगत को एकत्रित करने वाला यह अद्भुत विज्ञान है. उदहारण के तौर पर, मंगल गृह लीवर और पित्त से जुड़ा हुआ है, और पित्त चने की दाल से जुड़ी हुई है.
यदि आप ज्यादा चना दाल खाएंगे, तो आप देखेंगे की आपका पित्त बढ़ गया है. तो पित्त, चना दाल, मंगल यह सभी जुड़े हुए हैं. भेड़ भी मंगल गृह से जुड़ा हुआ है; वह गर्मी देता है, ऊन प्रदान करता है; ऐसे भेड़ जुड़ा हुआ है. उसी तरह शनि गृह कौवे से जुड़ा हुआ है.
वह काले तिल के साथ भी जुड़ा हुआ है, और आपके दांतों के साथ भी. ज्योतिष चिकित्सा नामक कुछ होता है, जहां पर आप एक लेखाचित्र में देख सकते हो, किस प्रकार की बीमारियां आपको हो सकती है या खतरा हो सकता है. दुर्भाग्यवश इनमें से काफी सारा ज्ञान खो हो चुका है. काफी हद तक शास्त्र आधे लुप्त हो गए हैं, क्योंकि वह सारे ताड़ के पत्तों पर लिखा गया था, कुछ पत्तों में छेद थे. कुछ ज्ञान ठीक तरीके से खा नहीं गया था. बावजूद इसके कुछ ज्ञान आज भी उपलब्ध है. ज्योतिष विद्या एक अद्भुत विज्ञान है.
लेकिन ज्योतिषियों ने इसे ठीक से पढ़ा नहीं है. ज्योतिषियों के बारे में मेरी अपनी राय है. लेकिन, मुझे ज्योतिष शास्त्र के बारे में पता है, कैसे यह संबंध इतना वैज्ञानिक है. यह बहुत व्यवस्थित है, सभी संबंध बहुत वैज्ञानिक दृष्टि से स्थापित है. देखिए, सूर्य आपकी आखों से जुड़ा हुआ है. उसी तरह बृहस्पति आपके नाक से जुड़ा हुआ है, शनि गृह आपके दांतों से जुड़ा हुआ है और गाल शुक्र से जुड़ा हुआ है. कपाल बुध से जुड़ा हुआ है.
तो यह एक बहुत सुंदर विज्ञान है और आप चीजों को सूक्ष्म तरीके जान सकते हो. आप किसी का चेहरा देखकर उसके बारे में लेखाचित्र बना सकते हो. हालांकि, यह विज्ञान खो गया है. उदहारण के तौर पर तीन-चार दशक पहले किसी ने भी वास्तुशास्त्र के विषय में कुछ भी सुना नहीं था.
भारत में भी लोगों ने इसके बारे में सुना नहीं था, लेकिन, यह अब उभर आया है. महर्षि महेश योगी पहले थे, जिन्होंने इस ज्ञान को वापस ले आए. वास्तुशास्त्र को बढ़ावा देने का सुझाव उनका था.
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