क्रिकेट : वर्षों याद रहेंगे गिल के जांबाज
इंग्लैंड का यह समर बेहतरीन टेस्ट क्रिकेट और एक उम्दा टेस्ट कप्तान के तौर पर उभरने के लिए याद किया जाएगा।
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एंडरसन-तेंदुलकर सीरीज के आखिरी दो टेस्ट बाकी रहने पर भारतीय टीम 1-2 से पीछे थी, और चौथे मैनचेस्टर टेस्ट में इंग्लैंड के पहली पारी में 311 की बढ़त बनाने पर किसने सोचा था कि भारतीय यंग ब्रिगेड सीरीज ड्रा कराकर लौटेगी। पर शुभमन गिल और गौतम गंभीर की इस टीम ने मैनचेस्टर टेस्ट ड्रा ही नहीं कराया, बल्कि ओवल टेस्ट तमाम विपरीत हालात में भी जीत कर सीरीज बराबर करा कर सभी को हतप्रभ कर दिया। इस सीरीज में गिल एक ऐसे कप्तान के तौर पर उभरे हैं, जिनसे आने वाले समय में बहुत उम्मीदें लगाई जानी हैं।
इस यंग ब्रिगेड ने दिग्गजों की अनुपस्थिति में बल्लेबाजी ही नहीं, गेंदबाजी में भी ऐसे कारनामे किए हैं, जिनकी चर्चा आने वाले तमाम सालों तक चलनी हैं। कप्तान गिल ने अपने आलोचकों को धता बताते हुए सीरीज में सबसे ज्यादा 754 रन बनाए जिनमें एक दोहरा और तीन शतक शामिल रहे। भारत ने एक सीरीज में सबसे ज्यादा शतक लगाने के ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के 12-12 शतक के रिकॉर्ड की बराबरी करके दिखाया है कि आने वाले दिन उनके ही रहने वाले हैं। ऑस्ट्रेलिया ने 1955 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ और पाकिस्तान ने 1982-83 में भारत के ही खिलाफ ये शतक जमाए थे।
इस पूरी सीरीज में 21 शतक लगे और टेस्ट क्रिकेट में नई जान डालने वाली साबित हुई है यह सीरीज। भारतीय कप्तान शुभमन गिल करीब डेढ़ माह पहले इस नई जिम्मेदारी के साथ इंग्लैंड दौरे पर गए थे, तब दिग्गज खिलाड़ियों की अनुपस्थिति की ज्यादा चर्चाएं चल रही थीं। गिल की यह यंग साइड कैसा खेलेगी का किसी को भी अंदाजा नहीं था पर इस यंग ब्रिगेड ने जिस अंदाज में बेहतरीन प्रदर्शन करके सीरीज को बराबर कराया और आखिरी टेस्ट में इंग्लैंड के जबड़े से जीत को निकाल कर उन्हें हराया, उससे यंग टीम का डीएनए तो पता चलता है। यह सही है कि भारत यदि आखिरी टेस्ट हार कर सीरीज हार जाता तो इस युवा टीम के साथ कोच गौतम गंभीर को भी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता।
लेकिन मोहम्मद सिराज के दिलेरी भरे प्रदर्शन ने इस टीम को हीरो बना दिया है। भारतीय गेंदबाजों ने चौथे दिन हाथ से निकलते टेस्ट के आखिरी समय में अपनी बेहतरीन गेंदबाजी से भारत की वापसी करा कर जो माहौल बनाया था, उसकी वजह से ही इंग्लैंड के चार विकेट रहते सिर्फ 35 रन जीत से दूर रहने पर भी भारतीय खेमे में जीत की उम्मीदें बन गई थीं। पर आखिरी दिन का खेल शुरू होने पर प्रसिद्ध कृष्णा ने अपने बाकी ओवर की चार गेंदों पर दो चौके खाए तो लगा कि मैच हाथ से निकलने वाला है।
इस हताशा को सिराज ने अगले ओवर में स्मिथ को विकेट के पीछे कैच करा कर एक बार फिर उम्मीदों में बदल दिया। इसके बाद जिस अंपायर के बारे में माना जा रहा था कि उसके फैसले भारत के खिलाफ जा रहे हैं, उसके फैसले ने ही भारतीय उम्मीदों को नई ऊंचाइयां दीं। ओवर्टन सिर्फ अंपायर कॉल की वजह से ही एलबीडब्ल्यू हुए क्योंकि सिराज की गेंद विकेट को बस छूती हुई ही जा रही थी। हम सभी जानते हैं कि चौथे दिन हैरी ब्रूक के सिराज का कैच पकड़ कर सीमा रेखा के पार चले जाने से ही मैच भारत के हाथ से निकलता दिखा था। पर इस खिलाड़ी ने जब एटकिंसन को बोल्ड करके भारत को छह रनों से जीत दिलाई, उसके साथ ही वह भारतीय जीत का हीरो बन गया।
मोहम्मद सिराज चौथे दिन हैरी ब्रूक का कैच छोड़ने की वजह से सो नहीं सके थे। इस कारण ने उन्होंने अगले दिन अल सुबह अपने मोबाइल के बॉल पेपर पर क्रिस्टियानो रोनाल्डो वाली बिलीव लिखी फोटो लगाई। साथ ही मन में ठान लिया कि देश के लिए टीम को हर हाल में जिताना है। उन्होंने इसी भावना वाला प्रदर्शन करके असंभव नजर आ रही जीत दिला कर दिखा दिया कि वह जो भी ठानते हैं, उसे कर दिखाने का उनमें माद्दा भी है। सिराज ने इस सीरीज में 23 विकेट निकाल कर इंग्लैंड के खिलाफ भारत के लिए सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने के बुमराह के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। बुमराह ने 2021-22 की सीरीज में यह रिकॉर्ड बनाया था।
शुभमन गिल की यह कप्तान के रूप में पहली सीरीज थी और उन्होंने अपने प्रदर्शन से दिखाया कि आने वाला समय उनका ही है। वह इस सीरीज में तीन शतक और एक दोहरे शतक से सर्वाधिक 724 रन बनाने वाले बल्लबेज बने।
इस सीरीज के दौरान उनके कुछ फैसलों की आलोचना हुई तो कुछ फैसले सराहे भी गए लेकिन इस दौरान उन्होंने जिस तरह से टीम का नेतृत्व किया और टीम में हार नहीं मानने का जज्बा बनाया उससे तो साफ है कि यह टीम रोहित और विराट के युग से बाहर निकलने में कामयाब हो गई है, और भारत को टेस्ट क्रिकेट में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का माद्दा रखती है। भारतीय कोच गौतम गंभीर ने भारत के टेस्ट जीतने पर कहा, ..हम कुछ मैच जीतेंगे, कुछ मैच हारेंगे पर आत्मसमर्पण कभी नहीं करेंगे। शाबाश लड़को।.. गौतम गंभीर के बयान से यह आसानी से समझा जा सकता है कि आने वाले दिनों में भारतीय टीम का रवैया क्या रहने वाला है।
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