सामयिक: ट्रंप का भारत को ’तोहफा‘

Last Updated 04 Aug 2025 03:56:21 PM IST

हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयातित सामान पर 25% टैरिफ और रूस से तेल और हथियारों की खरीद के लिए अतिरिक्त दंड की घोषणा की।


यह कदम भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में महत्त्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, विशेष रूप से तब जब दोनों देश एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। ट्रंप ने भारत और रूस को ‘मृत अर्थव्यवस्था’ (डेड इकॉनमी) कह कर निशाना बनाया और भारत के उच्च टैरिफ और गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाओं को इसका कारण बताया।

ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में वैश्विक व्यापार को प्रभावित करने वाली आक्रामक टैरिफ नीतियों को अपनाया है। 7 अगस्त, 2025 से लागू होने वाले 25% टैरिफ का ऐलान करते हुए ट्रंप ने इसके लिए भारत के रूस से तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद को प्रमुख कारण बताया। उनके अनुसार, भारत रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीदार है, जो यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान के समय में अस्वीकार्य है। इसके अतिरिक्त, ट्रंप ने भारत के उच्च टैरिफ (जिसे उन्होंने दुनिया में सबसे अधिक बताया) और गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाओं की भी आलोचना की। ट्रंप ने पहले 20-25% टैरिफ की संभावना जताई थी, लेकिन अंतिम घोषणा में अतिरिक्त दंड भी शामिल किया गया। यह कदम भारत के फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, रत्न और आभूषण और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है, जो अमेरिका के साथ भारत के व्यापार के महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। 

कांग्रेस नेता और लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ट्रंप के ‘मृत अर्थव्यवस्था’ वाले बयान का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। कहा, ‘हां, ट्रंप सही हैं। हर कोई जानता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मृत है, सिवाय प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के। मुझे खुशी है कि ट्रंप ने यह तथ्य सामने रखा। दुनिया जानती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था खत्म हो चुकी है। भाजपा ने अडानी को मदद करने के लिए अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया।’ राहुल ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए, विशेष रूप से नोटबंदी और ‘त्रुटिपूर्ण’ जीएसटी अर्थव्यवस्था के पतन के कारण बताए। उन्होंने यह भी पूछा कि ट्रंप के भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर बार-बार किए जा रहे दावों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी क्यों है?

कांग्रेस पार्टी ने इस टैरिफ को भारत की विदेश नीति की विफलता के रूप में चित्रित किया। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ‘राहुल गांधी ने पहले ही इस बारे में चेतावनी दे दी थी। यह टैरिफ हमारी अर्थव्यवस्था, निर्यात, उत्पादन और रोजगार पर असर डालेगा। हम अमेरिका को फार्मास्यूटिकल्स निर्यात करते हैं,  और 25% टैरिफ से ये महंगे हो जाएंगे जिससे मांग कम होगी और उत्पादन तथा रोजगार पर असर पड़ेगा।’ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाए और टैरिफ को भारत के व्यापार, एमएसएमई और किसानों के लिए हानिकारक बताया। अन्य विपक्षी नेताओं ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ‘बुरे दिनों की शुरुआत’ बताया, जबकि असदुद्दीन ओवैसी ने ट्रंप को ‘व्हाइट हाउस का जोकर’ कह कर उनकी आलोचना की। 

वहीं, अर्थशास्त्रियों ने इस टैरिफ के भारत की अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव को लेकर मिश्रित राय व्यक्त की है। कुछ का मानना है कि इसका प्रभाव सीमित होगा जबकि अन्य ने दीर्घकालिक नुकसान की चेतावनी दी है। इंवेस्टमेंट इनफॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया (इक्रा) की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘प्रस्तावित टैरिफ और दंड हमारी अपेक्षा से अधिक हैं, और इससे भारत की जीडीपी की वृद्धि पर असर पड़ सकता है। प्रभाव की गंभीरता दंड के आकार पर निर्भर करेगी।’ अर्नेस्ट एंड यंग इंडिया (ईवाई) के व्यापार नीति विशेषज्ञ अग्नेर सेन ने कहा, ‘टैरिफ से समुद्री उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, चमड़ा और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे। ये क्षेत्र भारत-अमेरिका व्यापार में मजबूत हैं, और टैरिफ से इनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है।’ फाउंडेशन फॉर इकोनॉमिक डवलपमेंट के राहुल अहलूवालिया ने चेतावनी दी कि टैरिफ भारत को वियतनाम व चीन जैसी अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कमजोर कर सकता है। उनके अनुसार, निर्यात आपूर्ति श्रृंखलाओं के भारत की ओर स्थानांतरण की संभावना नहीं है।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने आशावादी रुख भी अपनाया है। फिक्की के अध्यक्ष हषर्वर्धन अग्रवाल ने कहा, ‘हालांकि यह कदम दुर्भाग्यपूर्ण है और हमारे निर्यात पर असर डालेगा। लेकिन हमें उम्मीद है कि यह अल्पकालिक घटना होगी और दोनों पक्ष जल्द ही एक स्थायी व्यापार समझौते पर पहुंच जाएंगे।’ भारत सरकार ने इस मुद्दे पर सतर्क और संयमित रुख अपनाया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा, ‘हम राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे। भारत ने एक दशक में ‘फ्रैजाइल फाइव’ से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने का सफर तय किया है।’ सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि भारत तत्काल जवाबी टैरिफ लगाने की बजाय बातचीत का रास्ता अपनाएगा। एक सूत्र ने कहा, ‘चुप्पी सबसे अच्छा जवाब है। हम बातचीत की मेज पर इस मुद्दे को हल करेंगे।’

कुल मिलाकर 25% टैरिफ और अतिरिक्त दंड ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में नया तनाव पैदा कर दिया है। राहुल गांधी और विपक्ष ने इसे सरकार की आर्थिक और विदेश नीति की विफलता के रूप में प्रस्तुत किया है, जबकि अर्थशास्त्रियों ने इसके मिश्रित प्रभावों की ओर इशारा किया है। जहां कुछ क्षेत्रों पर तत्काल असर पड़ सकता है, वहीं भारत के पास अन्य बाजारों में विविधता लाने और बातचीत के जरिए समाधान खोजने का भी अवसर है। यह स्थिति न केवल आर्थिक, बल्कि भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और आर्थिक हितों को संतुलित करना होगा। देखना यह है कि आने वाले दिनों में सरकार इस समस्या से कैसे निपटती है। 
(लेख में विचार निजी हैं)

विनीत नारायण


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