गलवान की घटना के बाद हर देशभक्त चीन पर सरकार से जवाब मांग रहा है: कांग्रेस
कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि वर्ष 2020 की गलवान की घटना के बाद से हर देशभक्त भारतीय चीन मामले पर जवाब मांग रहा है लेकिन मोदी सरकार ने ‘‘डीडीएलजे’’ वाली अपनी नीति से सच्चाई को छिपाने की कोशिश की है।
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पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सरकार की ‘डीडीएलजे’ वाली नीति का मतलब ‘डिनायल (इनकार करना), डिस्ट्रैक्ट (ध्यान भटकाना), लाई (झूठ बोलना) और जस्टीफाई (सही ठहराना)’ है।
रमेश ने यह यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार 1962 के बाद से भारत को मिले सबसे बड़े क्षेत्रीय झटके के लिए ज़िम्मेदार है, और उस पर अपनी ‘कायरता’ और गलत आर्थिक प्राथमिकताओं के कारण चीन के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने का प्रयास करती है।
उन्होंने सरकार पर उस वक्त निशाना साधा जब उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर सोमवार को उनकी आलोचना करते हुए कहा, ‘‘अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसी बात नहीं कहेंगे।’’
हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस मामले में लखनऊ की एक अदालत में गांधी के खिलाफ जारी कार्यवाही पर रोक लगा दी।
न्यायालय ने राहुल गांधी से सवाल किया, ‘‘आपको कैसे पता चला कि 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीनियों ने कब्जा कर ली है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय जानकारी है?’’
जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि 15 जून, 2020 को गलवान में 20 बहादुर सैनिकों के शहीद होने के बाद से हर देशभक्त भारतीय जवाब मांग रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जवाब देने के बजाय, मोदी सरकार पिछले पांच वर्षों से 'डीडीएलजे’ की अपनी नीति के साथ सच्चाई को छिपाने में लगी हुई है।
रमेश ने सवाल किया, ‘‘प्रधानमंत्री ने 19 जून 2020 को, यानी गलवान में देश के लिए हमारे सैनिकों के वीरतापूर्वक बलिदान देने के केवल चार दिन बाद, ‘‘न कोई हमारी सीमा में घुसा है, न ही कोई घुसा हुआ है’’ कहकर चीन को क्लीन चिट क्यों दे दी?"
उन्होंने कहा, ‘‘सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि हम अप्रैल 2020 की यथास्थिति पर वापस जाना चाहते हैं। क्या 21 अक्टूबर, 2024 का वापसी समझौता हमें यथास्थिति की पुष्टि करता है?’’
रमेश ने यह भी कहा कि भारतीय गश्ती दल को देपसांग, डेमचोक और चुमार में अपने गश्ती बिंदुओं तक पहुंचने के लिए चीन की सहमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘‘क्या 2020 में यह व्यापक रूप से रिपोर्ट नहीं किया गया था कि पूर्वी लद्दाख का 1,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र, जिसमें देपसांग का 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र भी शामिल है, चीनी नियंत्रण में आ गया है? क्या लेह के एसपी ने वार्षिक पुलिस महानिदेशक सम्मेलन में एक शोधपत्र प्रस्तुत नहीं किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने पूर्वी लद्दाख के 65 गश्ती बिंदुओं में से 26 तक पहुंच खो दी है?’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘क्या यह सच नहीं है कि चीन से आयात, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक बैटरी और सौर सेल, तेज़ी से बढ़ रहा है और दूरसंचार, औषधि और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र चीनी आयात पर अत्यधिक निर्भर हैं?’’
रमेश ने कहा कि क्या यह सच नहीं है कि 2024-25 में चीन के साथ व्यापार घाटा रिकॉर्ड 99.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया है?’ उन्होंने दावा किया कि सच तो यह है कि मोदी सरकार 1962 के बाद से भारत को मिले सबसे बड़े क्षेत्रीय झटके के लिए ज़िम्मेदार है।
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