CJI गवई की अदालत में 11 अगस्त से वरिष्ठ वकील तत्काल सुनवाई के लिए नहीं करेंगे उल्लेख
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई - CJI) बी आर गवई ने बुधवार को कहा कि 11 अगस्त से किसी भी वरिष्ठ अधिवक्ता को उनकी अदालत में तत्काल सूचीबद्ध करने और सुनवाई के लिए मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी ताकि कनिष्ठ अधिवक्ताओं को ऐसा करने का अवसर मिल सके।
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गत 14 मई को शपथ लेने वाले प्रधान न्यायाधीश गवई ने वकीलों द्वारा तत्काल सूचीबद्ध करने और सुनवाई के लिए मामलों का मौखिक उल्लेख करने की प्रथा को फिर से शुरू कर दिया था और अपने पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा अपनाई गई प्रथा को बंद कर दिया था।
न्यायमूर्ति खन्ना ने वकीलों द्वारा मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने और उनकी सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख करने की प्रक्रिया को रोक दिया था और उन्हें ईमेल या लिखित पत्र भेजने के लिए कहा।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘इस बात की बहुत मांग है कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा किसी भी मामले का उल्लेख न किया जाए।’’
उन्होंने अदालत के कर्मियों से एक नोटिस जारी करने को कहा कि सोमवार से किसी भी वरिष्ठ वकील को उनकी अदालत में मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने और सुनवाई के लिए मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सोमवार से, किसी भी वरिष्ठ वकील, यानी नामित वरिष्ठ अधिवक्ता को मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कनिष्ठ वकीलों को ऐसा करने का अवसर दिया जाना चाहिए।’’
एक मामले का उल्लेख करने के लिए अदालत में मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी (Abhishek Singhvi) ने कहा कि यदि यह सभी वरिष्ठ वकीलों पर लागू होता है, उन्हें कोई समस्या नहीं है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कम से कम मेरी अदालत में तो इसका पालन किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि यह शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों पर है कि वे इस पद्धति को अपनाते हैं या नहीं।
आमतौर पर वकील दिन की कार्यवाही की शुरुआत में, मामलों की सूची बनाने और तात्कालिकता के आधार पर मामलों की सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अपने मामलों का उल्लेख करते हैं।
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