साइबर अपराध : डेटा लीक के खतरे अनंत
समय के साथ साइबर क्राइम करने वालों ने अपने तौर-तरीकों में भी बदलाव किया है। कहा तो यहां तक जाने लगा है कि इससे कोई नहीं बच सकता। चाहे किसी ने चूक की हो या नहीं। इसकी पहुंच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन लोगों ने साइबर क्राइम पुलिस तक को नहीं छोड़ा है।
![]() साइबर अपराध : डेटा लीक के खतरे अनंत |
इन लोगों का दुस्साहस देखें कि जूनागढ़ साइबर क्राइम पुलिस की ईमेल आईडी हैक कर बैंक में फ्रीज रकम को अनफ्रीज करने तक की कोशिश की गई। हालांकि इस धोखाधड़ी की योजना तब फेल हो गई जब ईमेल में विषय (सब्जेक्ट) वाला स्थान खाली मिला जिससे बैंक को शक हुआ और उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचित किया।
गनीमत रही कि एक छोटी सी चूक के कारण अपराधी पकड़ में आ गया लेकिन ऐसे कई मामले हैं, जिनमें साइबर क्राइम करने वाले सफल रहे हैं। ताजा मामला देश की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा का है। यहां फर्जी ईमेल आईडी के जरिए एक अस्पताल के कर्मचारी ने दिल्ली नगर निगम से कैशलेस इलाज के 74.90 लाख रु पये अस्पताल के अकाउंट में डलवाने की बजाय अपने अकाउंट में डलवा लिए। मामला साइबर क्राइम पुलिस के पास है, और वह इसकी जांच कर रही है।
ये दो मामले तो बानगी हैं, लेकिन अगर करोड़ों अकाउंट्स के पासवर्ड चोरी कर लिया जाए तो फिर क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाने भर से सिहरन पैदा होने लगेगी कि कहीं हमारे अकाउंट्स का पासवर्ड भी चोरी न हो गया हो। जी हां, इस तरह का एक बड़े डेटा लीक का नया मामला सामने आया है। इसमें लगभग 1600 करोड़ पासवर्ड के लीक होने की बात है, और इसने इसे इतिहास के सबसे बड़े डेटा लीक में से एक बना दिया है।
साइबर न्यूज और फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस लीक की वजह से लाखों यूजर्स का पर्सनल डेटा अब रिस्क पर है। इन पासवर्ड्स की मदद से साइबर अपराधी यूजर्स की निजी जानकारी, फोटो, वीडियो और दूसरी जानकारी चुरा सकते हैं यानी फिशिंग स्कैम, डेटा चोरी और अकाउंट्स हैकिंग का खतरा हो सकता है। इस डेटा की मदद से साइबर अपराध के जोखिम कई गुना बढ़ सकते हैं।
रिसर्चर्स ने इस डेटाबेस को खंगाला है, और इसके 30 डेटासेट की जांच की है। उन्हें करीब 350 करोड़ रिकार्ड मिले हैं, जिनमें कॉरपोरेट और डवलपर प्लेटफार्म, वीपीएन लॉगिंग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के यूजर्स के क्रेडेंशियल शामिल हैं। यह डेटा 2025 की शुरुआत से लेकर आज तक का है।
रिसर्चर्स का दावा है कि ऑनलाइन लीक हुआ यह डेटा साधारण नहीं है। सिक्योरिटी रिसर्चर्स का भी कहना है कि यह इंटरनेट पर पड़ा पुराना डेटा नहीं है। ज्यादातर डेटा नया है जिन्हें..मैलवेयर के जरिए इकठ्ठा किया गया है। यह मैलवेयर प्रोग्राम लोगों का डेटा चुपके से चुराता है। चोरी के इस डेटा में यूजरनेम और पासवर्ड होते हैं, जिन्हें मैलवेयर यूजर्स के फोन से चुराकर हैकर को भेजता है। हैकर्स इस डेटा का सीधे इस्तेमाल कर सकते हैं, या फिर इन्हें डार्क वेब फोरम पर बेच सकते हैं।
रिपोर्ट्स की मानें तो लीक हुए डेटा में यूजर्स की डिटेल्स इनफार्मेशन हैं, जो अलग-अलग सर्विसेस के लिए हैं। इनमें यूजर्स के ईमेल से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, गूगल और टेलीग्राम तक की डिटेल्स हैं। यहां तक कि इनमें..पर डवलपर्स की अकाउंट्स डिटेल्स और कुछ सरकारी पोर्टल्स की भी जानकारी है। ज्यादातर जानकारी को एक फॉर्मेट में आर्गेनाइज किया गया है, जिसमें वेबसाइट लिंक, इसके बाद यूजरनेम और पासवर्ड लिखा है। इसकी वजह से साइबर अटैकर्स के लिए इनका इस्तेमाल आसान हो जाता है। एक्सपर्ट्स इस लीक को ग्लोबल साइबर क्राइम का ब्ल्यूप्रिंट बता रहे हैं।
इसे देखते हुए ही गूगल ने अपने यूजर्स को सलाह तक दे डाली है। गूगल ने अपने यूजर्स को 2-फैक्टर आथेंटिकेशन..एक्टिव करने की सलाह दी है। साथ ही, उसने अपने यूजर्स को पासवर्ड्स अपडेट करने को भी कहा है। गूगल का यूजर्स को यह भी कहना है कि उन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की बेहतर सुरक्षा के लिए ..फीचर का यूज करना चाहिए। पासकी से लॉगइन के लिए बायोमेट्रिक आथेंटिकेशन की जरूरत होती है, जिससे यह डबल सेफ्टी प्रदान करता है यानी आपको तुरंत ही अपना पासवर्ड बदल देना चाहिए। इसके अलावा अपने अकाउंट्स के लिए टू फेक्टर आथेंटिकेशन भी ऑन कर लें और पासवर्ड मैसेज का इस्तेमाल भी करें।
| Tweet![]() |