अर्थव्यवस्था : नये एफटीए युग का आगाज

Last Updated 23 Feb 2022 03:33:54 AM IST

फरवरी, 18 को भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के द्वारा मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए गए। इस एफटीए को समग्र आर्थिक साझेदारी समझौता (सीपा) नाम दिया गया है।


अर्थव्यवस्था : नये एफटीए युग का आगाज

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अबू धाबी के युवराज शेख मोहम्मद बिन जायद के बीच एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूएई के आर्थिक मामलों के मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अलमरी ने एफटीए पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच एफटीए द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों के नये युग की शुरु आत करेगा।

गौरतलब है कि इस व्यापार समझौते से भारत और यूएई के बीच वस्तुओं का कारोबार 5 साल में दोगुना बढ़ाकर 100 अरब डॉलर किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, जोकि इस समय करीब 60 अरब डॉलर है। इस समय यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और अमेरिका के बाद दूसरा बड़ा निर्यात केंद्र है। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर अमृत महोत्सव मना रहा है जबकि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) अपनी स्थापना की 50वीं वषर्गांठ मना रहा है। इस एफटीए के तहत दोनों देश मई 2022 से विभिन्न क्षेत्रों की निर्धारित वस्तुओं को शुल्क मुक्त और रियायती शुल्क पर पहुंच की अनुमति देंगे। भारत के द्वारा यूएई को कपड़ा, आभूषण, फार्मा उत्पाद, मेडिकल उपकरण, फुटवीयर, चमड़े के उत्पाद, हस्तशिल्प व खेलकूद के सामान, कीमती रत्न, मिनरल्स, खाद्य वस्तुएं जैसे मोटे अनाज, चीनी, फल और सब्जियां, चाय, मांस और समुद्री खाद्य, इंजीनियरिंग और मशीनरी, रसायन जैसे उत्पाद निर्धारित रियायतों पर भेजे जा सकेंगे।

वहीं यूएई के द्वारा भारत को पेट्रो  केमिकल्स, मेटल जैसे सेक्टरों के साथ सेवा से जुड़े कई सेक्टरों में रियायतें दी गई हैं। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि इस एफटीए से यूएई के बाजार में अब किसी भी भारतीय फॉर्मा उत्पाद को आवेदन करने के 90 दिनों में शून्य शुल्क पर बिक्री की इजाजत मिल जाएगी। सेवा सेक्टर और डिजिटल ट्रेड को लेकर भी दोनों देशों में विशेष समझौता हुआ है। नि:संदेह भारत के द्वारा यूएई के साथ बड़े एफटीए पर हस्ताक्षर सुकूनदेह हैं। ज्ञातव्य है कि विगत 15 नवम्बर, 2020 को अस्तित्व में आए दुनिया के सबसे बड़े ट्रेड समझौते रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसेप) में  भारत ने अपने आर्थिक व कारोबारी हितों के मद्देनजर शामिल होना उचित नहीं समझा था। फिर आरसेप से दूरी के बाद एफटीए की डगर पर आगे बढ़ने की नई सोच विकसित की गई। वस्तुत: हाल ही के वर्षो में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत विश्व व्यापार वार्ता में जितनी उलझनें खड़ी हुई हैं उतनी ही तेजी से विभिन्न देशों के बीच एफटीए बढ़ते गए हैं। एफटीए ऐसे समझौते हैं, जिनमें दो या दो से ज्यादा देश वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात-निर्यात पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा आदि संबंधी प्रावधानों में एक-दूसरे को तरजीह देने पर सहमत होते हैं।

ज्ञातव्य है कि भारत के द्वारा यूएई के साथ मोदी कार्यकाल का पहला एफटीए हुआ है। अब इस समय भारत दुनिया के कई प्रमुख देशों के साथ भी एफटीए को तेजी से अंजाम देने की डगर पर आगे बढ़ रहा है। ये ऐसे देश हैं, जिन्हें भारत जैसे बड़े बाजार की जरूरत है और ये देश बदले में भारत के विशेष उत्पादों के लिए अपने बाजार के दरवाजे भी खोलने के लिए उत्सुक हैं। इससे घरेलू सामानों की पहुंच एक बहुत बड़े बाजार तक हो सकेगी। विगत 11 फरवरी को भारत और ऑस्ट्रेलिया ने द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते से जुड़े कुछ बिंदुओं पर एक-दूसरे की चिंताओं से सामंजस्य बिठाते हुए आगामी माह मार्च 2022 में अंतरिम समझौते पर हस्ताक्षर की संभावना जताई है। वस्तुत: भारत और ऑस्ट्रेलिया का 20 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार इस समझौते के बाद कई गुना बढ़ सकता है। इससे दोनों ही देशों के लिए कई नये क्षेत्र खुलेंगे। हालांकि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अंतिम एफटीए समझौता संपन्न होने में एक डेढ़ वर्ष तक लग सकता है।

इसी तरह विगत 13 जनवरी को भारत और ब्रिटेन के बीच एक महत्त्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौते के लिए औपचारिक वार्ता की शुरूआत हुई है। इस वार्ता का मकसद 17 अप्रैल 2022 तक एक अंतरिम समझौते को पूरा करना और उसके बाद वित्तीय वर्ष मार्च 2023 के अंत तक समग्र व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि अंतरिम समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार में शामिल 60-65 प्रतिशत वस्तुओं के आयात शुल्क को उदार किया जाएगा, जबकि अंतिम समझौते के बाद 90 प्रतिशत से ज्यादा सामानों के लिए उदार आयात शुल्क सुनिश्चित हो जाएंगे। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक दोगुना होकर 100 अरब डॉलर पहुंच सकता है। अमेरिका, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और यूरोपीय संघ के साथ भी भारत के द्वारा एफटीए वार्ताओं को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। नि:संदेह यूएई के बाद अब विभिन्न देशों के साथ की जा रही एफटीए वार्ताओं में भारत के वार्ताकारों के द्वारा डेटा संरक्षण नियम, ई-कॉमर्स, बौद्धिक सम्पदा तथा पर्यावरण जैसे नई पीढ़ी के कारोबार मसलों को ध्यान में रखा जाना होगा। हमें एफटीए वाले देशों में कारोबार प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए उत्पादों की कम लागत और अधिक गुणवत्ता की बुनियादी जरूरत के रूप में ध्यान रखना होगा। हमें ध्यान में रखना होगा कि एफटीए  का दूसरे अंतरराष्ट्रीय समझौते से बेहतर समन्वय किया जाए।

हम उम्मीद करें कि कोविड-19 और आरसेप के कारण बदली हुई वैश्विक व्यापार व कारोबार की पृष्ठभूमि में भारत के द्वारा 18 फरवरी को यूएई के साथ किया गया एफटीए देश के वैश्विक व्यापार को बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इससे देश से निर्यात बढ़ेंगे और बड़े पैमाने पर रोजगार के नये अवसरों का निर्माण होगा। हम उम्मीद करें कि यूएई के बाद अब ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, इजरायल, भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल और यूरोपीय संघ के साथ भी एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जा सकेगा और इससे भारत के विदेश-व्यापार के नए अध्याय लिखे जा सकेंगे।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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