क्रिकेट : टेस्ट में अब युवाओं पर फोकस
टीम इंडिया का श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में नेतृत्व रोहित शर्मा के हाथों में होगा।
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इस टेस्ट की खास बात यह होगी कि यह पूर्व कप्तान विराट कोहली का सौवां टेस्ट होगा पर इस टेस्ट में विराट कोहली के टेस्ट कप्तान रहते मिली ढेरों सफलताओं में अहम भूमिका निभाने वाले अजिंक्य रहाणे, चेतेश्वर पुजारा और ईशांत शर्मा नहीं होंगे। वैसे तो चेतन शर्मा की अगुआई वाली चयन समिति ने इन खिलाड़ियों को इस सीरीज के लिए ही नहीं चुनने की जानकारी दी थी लेकिन इस तिकड़ी का प्रदर्शन पिछले कुछ समय से उम्मीदों के अनुरूप नहीं होने के कारण ऐसा लग रहा है कि इनको इशारों में संकेत दे दिया गया है। हां, इतना जरूर है कि पुजारा और रहाणे यदि मौजूदा रणजी सीजन में धमकदार प्रदर्शन करते हैं, तो बहुत संभव है कि उन्हें एक मौका और मिल जाए। वैसे इनकी कहानी खत्म सी लगती है।
हम सभी जानते हैं कि यह टी-20 विश्व कप वाला साल है। इसलिए इस साल सभी टीमों का फोकस टी-20 क्रिकेट पर है। इसलिए भारत को इस साल श्रीलंका के साथ सीरीज के दो टेस्टों सहित कुल तीन ही टेस्ट खेलने हैं। तीसरा टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ पिछली सीरीज का स्थगित टेस्ट है, जो आईपीएल के बाद एक से पांच जुलाई तक खेला जाना है। रहाणे और पुजारा यदि इंग्लैंड के खिलाफ भी टीम में वापसी नहीं कर पाते हैं, तो समझना चाहिए कि उनकी गाड़ी छूट चुकी है। असल में, इन दोनों दिग्गज खिलाड़ियों को पर्याप्त मौके दिए जाने पर भी जब ये उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं, तब ही चयन समिति ने उनसे आगे देखने का फैसला किया है।
अजिंक्य रहाणे को तो खराब प्रदर्शन की वजह से पिछले दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर उपकप्तानी से भी हटाकर यह संकेत दे दिया गया था कि अब प्रदर्शन ही उन्हें टीम में बनाए रख सकता है लेकिन ये दोनों दिग्गज दक्षिण अफ्रीका में भी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके। हम 2020 की शुरुआत से लेकर अब तक इनके प्रदर्शन पर नजर डालें तो इनके बल्ले से सिर्फ एक शतक निकलते देखा गया है। पुजारा ने तो 2018-19 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर आखिरी बार शतक लगाया था वहीं रहाणे के बल्ले से भी अक्टूबर, 2019 के बाद से सिर्फ एक शतक ही निकला है।
कई बार दिग्गजों की टीम में मौजूदगी होने पर कप्तान उन्हें एकादश से बाहर करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। लगता है कि रहाणे और पुजारा ने 2020 के बाद से क्रमश: 20 और 19 टेस्ट बिना कोई खास प्रदर्शन किए खेले हैं। यह मुझे सालों पहले टीम इंडिया के सामने आई जैसी ही स्थिति लगती है। उस वक्त महेंद्र सिंह धोनी कप्तान थे और उन्होंने वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ को टीम में रहते एकादश से बाहर करने से इनकार कर दिया था। लेकिन अब लगता है कि चयनकर्ताओं ने युवाओं को आजमाने के लिए ही दोनों को बाहर बैठाने का फैसला किया है। इन दोनों की जगह लेने के लिए हनुमा बिहारी, श्रेयस अय्यर और शुभमन गिल को टीम में रखा गया है। ये तीनों ही खिलाड़ी ऐसे हैं, जो शानदार प्रदर्शन करके रहाणे और पुजारा की वापसी की उम्मीदों को और मुश्किल बना सकते हैं।
भारतीय टेस्ट दल से बाहर हुए तीसरे खिलाड़ी पेस गेंदबाज ईशांत शर्मा हैं। ईशांत को पिछले दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर नहीं खिलाने से ही साफ हो गया था कि वह अब टीम प्रबंधन की भविष्य की योजना के हिस्सा नहीं रहे हैं। असल में, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी टीम के प्रमुख गेंदबाज हैं। तीसरे गेंदबाज के रूप में मोहम्मद सिराज ने शानदार प्रदर्शन करके ईशांत शर्मा को बाहर का रास्ता दिखाया है। टीम में कभी चौथा पेस गेंदबाज खेलता भी है, तो वह ऐसा गेंदबाज टीम प्रबंधन पसंद करेगा जो अच्छे से बल्लेबाजी करना भी जानता हो। पहले इस जिम्मेदारी को हार्दिक पांडय़ा निभाते रहे थे। लेकिन उनके पूरी तरह से फिट नहीं होने पर शादरुल ठाकुर और वेंकटेश अय्यर इस स्थान के दावेदार रहेंगे। इससे लगता है कि ईशांत शर्मा की वापसी असंभव लगती है।
ऋद्धिमन साहा की बात इन तीनों ही बल्लेबाजों से अलग है। उनसे तो दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर टीम प्रबंधन ने संन्यास लेने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से कह दिया था। उन्हें इस बात का अफसोस भले ही है कि पिछली न्यूजीलैंड सीरीज में नाबाद 61 रन की पारी खेलने पर खूब वाहवाही मिलने के बाद स्थितियां एकदम से कैसे बदल गई पर उन्हें यह सच भी समझना होगा कि ऋषभ पंत टीम के प्रमुख विकेटकीपर बन चुके हैं। इस स्थिति में 37 साल के विकेटकीपर को उनका बैकअप विकेटकीपर रखने का कोई तुक नहीं दिखता है। इस कारण ही केएस भरत को टीम का दूसरा विकेटकीपर चुना गया है ताकि वह समय रहते टीम के लिए तैयार हो सकें। राहुल द्रविड़ और रोहित शर्मा की नई कोच और कप्तान की जोड़ी की सोच से यह संकेत तो जरूर मिलता है कि वे भविष्य को ध्यान में रखकर टीम को तैयार करना चाहते हैं।
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