डिजिटल रुपया : मुद्रा में छिपी संप्रभुता

Last Updated 22 Feb 2022 03:23:50 AM IST

किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता की परिचायक होती है उसकी अपनी मुद्रा। अगर उसकी मुद्रा में शक्ति है, तो वह शक्तिशाली देश है।


डिजिटल रुपया : मुद्रा में छिपी संप्रभुता

मुद्रा यानी करेंसी धन का वह भौतिक रूप है, जिससे व्यक्ति अपनी दैनिक जिंदगी में खरीद-बिक्री कर सकता है। इसमें सिक्के और कागज के नोट दोनों शामिल हैं। भारत में रुपया और पैसा मुद्रा हैं। मुद्रा के प्रचलन से पहले वस्तु विनिमय होता था, यानी एक वस्तु लो, दूसरी वस्तु दो।
स्वंत्रत भारत ने अपनी पहली करेंसी के रूप में 1949 में एक रुपये का नोट जारी किया था। इस नोट पर सारनाथ स्थित सिंह शीर्ष वाला आशोक स्तंभ था, जो बाद में भारत का राष्ट्रीय चिह्न बना। अब विज्ञान और तकनीक की तरक्की से मुद्रा के भौतिक रूप का प्रयोग कम होने लगा है और इसकी जगह डिजिटल रूप से किसी वस्तु की कीमत अदा की जा रही है। डेबिट व क्रेडिट कार्ड या यूपीआई से किसी वस्तु की कीमत को अदा करना इसी का रूप है, लेकिन डिजिटल करेंसी या क्रिप्टो करेंसी इससे एकदम अलग है। अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में कहा जाता था कि, जो समुद्र पर राज करेगा वही पृथ्वी पर राज करेगा। 21वीं सदी में विज्ञान और तकनीक से दुनिया बदल गई है। आज कहा जा सकता है कि जो वर्चुअल दुनिया पर राज करेगा, वही पृथ्वी पर राज करेगा। वैश्विक पटल पर वर्चुअल दुनिया के बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए भारत ने इस दिशा में ठोस और दूरगामी प्रभाव वाला कदम उठाया है। 21वीं सदी में महानायक के रूप में उभरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल करेंसी (डिजिटल करेंसी) लाने की घोषणा करके भारतीय अर्थव्यवस्था को एक लंबी छलांग लगाने का अवसर दिया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022-23 के आम बजट में देश में डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा की।

इसके साथ ही, यह घोषणा भी की गई कि क्रिप्टो करेंसी या अन्य इसी तरह की डिजिटल करेंसी वर्चुअल दुनिया में किया गया निवेश माना जाएगा। क्रिप्टो करेंसी किसी देश की वर्चुअल करेंसी नहीं है, बल्कि यह मल्टीनेशनल कंपनी की करेंसी है। इस पर किसी भी देश की सरकार का नियंत्रण नहीं है। इस पर प्रतिबंध तो लगाया जा सकता है, लेकिन इसे रोका नहीं जा सकता है। क्योंकि, इसके लेन-देन और इस लेन-देन में सम्मिलित लोगों के बारे में कोई स्पष्ट आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, क्रिप्टो करेंसी से खरीद तो की जा सकती है, लेकिन इसे किसी भी देश की मुद्रा में बदला नहीं जा सकता है। यानी, अगर भारत में किसी के पास क्रिप्टो करेंसी है, तो उसे रु पये में बदला नहीं जा सकता है। अर्थात, यह पूरी तरह छलावा है। इसलिए, अधिसंख्य देशों ने क्रिप्टो करेंसी को मान्यता नहीं दी है। दूसरी ओर, भारत में डिजिटल करेंसी भारतीय रिजर्व बैंक जारी करेगा और यह देश में मौजूद भौतिक करेंसी का विकल्प होगा। यानी, इसे रुपये में बदला जा सकेगा। इससे ऑनलाइन पेमेंट किए जा सकेंगे। क्रिप्टो करेंसी से चावल-दाल नहीं खरीदा जा सकता है, जबकि भारत में जारी होने वाली डिजिटल करेंसी से ऐसा किया जा सकेगा।
वर्चुअल दुनिया में बढ़ रही क्रिप्टो करेंसी की ताकत ने विश्व के विकसित देशों की समस्या बढ़ा दी है। भारत भी इससे चिंतित है। इससे एक नई आर्थिक गुलामी का साया विश्व पर मंडराने लगा है। 21वीं सदी में वर्चुअल करेंसी दुनिया की आवश्यकता बन रही है, लेकिन इससे सही ढंग से नहीं निपटा गया, तो यह कई समस्याएं पैदा कर सकती है। डिजिटल करेंसी के रूप में वर्चुअल करेंसी किसी देश द्वारा कानून और नियमों के तहत लाना लाभदायक हो सकता है, जबकि क्रिप्टो करेंसी खतरनाक। हमने देखा है वैश्विक महामारी कोविड-19 के काल में डिजिटल लेन-देन को भारत सहित सभी देशों ने प्रोत्साहित किया। इससे बहुत से लोगों को संक्रमण से बचाया जा सका था। केंद्र सरकार ने कोरोना काल में लोगों से निरंतर अपील की कि भीम-यूपीआई सहित अन्य डिजिटल वॉलेट को इस्तेमालन करें और संक्रमण से बचें। कोरोना काल में क्रिप्टो करेंसी बिटक्वाइन ने भारत सहित विश्व के अधिकांश देशों में भी तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। बिटक्वाइन वॉलेट देश में अन्य मोबाइल वॉलेट से काफी मिलते-जुलते हैं। वजीर-एक्स, यूनोक्वाइन, जेबपे जैसी भारतीय कंपनियां बिटक्वाइन के कारोबार कर रही हैं।
एक अनुमान के अनुसार देश में 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि बिटक्वाइन में लगी हुई हैं। बिटक्वाइन के लेन-देन में युवाओं की भागीदारी सबसे अधिक है, जबकि इसे रेगुलेट करने की अभी तक कोई नियम और कानून भारत में नहीं था। कहा यह भी जाता है कि ड्रग और अन्य अवैध कारोबार में निजी कंपनियों की क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि इस पर नजर रखना न तो आसान है और न ही इसे नियंत्रित करने के लिए कानून है। यह काफी गंभीर विषय है। इसलिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टो करेंसी पर टैक्स की व्यवस्था कर इसके नियंत्रण के लिए नियम और कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।  भारतीय उप महाद्वीप का इतिहास स्पष्ट कर देता है कि कारोबार करने आई कंपनियों ने देश को गुलाम बनाया और अपने वर्चस्व वाले इलाके को नियंत्रित करने के लिए अपनी मुद्रा जारी की। चाहे वे अंग्रेज हों, फ्रांसीसी या पुर्तगाली। 21वीं सदी में किसी भी देश को टारगेट कर वर्चुअल कंट्रोल एरिया के रूप मे विकसित करने का काल शुरू हुआ।
देखा जाए, तो क्रिप्टो करेंसी किसी भी देश को आर्थिक रूप से गुलाम बना सकता है, क्योंकि लोग शुरू में लाभ के चक्कर में इसमें फंस जाते हैं और बाद में उनका इस पर नियंत्रण नहीं रहता है। जिस देश में ज्यादा लोग क्रिप्टो करेंसी के चक्कर में फंस जाएंगे, उस देश का तो भगवान ही मालिक है, विश्व के बदलते परिदृश्य में भारत में क्रिप्टो करेंसी को नियंत्रित करने के लिए अभी कोई भी कानून एवं नियम नहीं है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के आम बजट में बेहतरीन घोषणा की है। इस घोषणा के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया  डिजिटल रुपया अर्थात वर्चुअल मुद्रा लाएगा। फिलहाल भारत में बिटक्वाइन जैसी किसी भी निजी कंपनी की क्रिप्टो करेंसी को मान्यता नहीं दी गई है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा डिजिटल रुपया लाने की घोषणा से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और भारत आर्थिक रूप से मजबूत भविष्य की ओर लंबी छलांग लगाएगा।

डॉ. संजय मयूख
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं मीडिया सहप्रभारी


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