मुद्दा : संपूर्ण गोहत्याबंदी कानून बनाए सरकार

Last Updated 24 Nov 2020 01:00:24 AM IST

सन 1966 में गोपाष्टमी के दिन दिल्ली में संसद भवन के सामने गोरक्षा के लिए विशाल प्रदशर्न हुआ था। दुर्भाग्य से उस समय पुलिस की गोलियों से सैकड़ों पूज्य संतों और गोभक्तों का बलिदान हुआ।


मुद्दा : संपूर्ण गोहत्याबंदी कानून बनाए सरकार

उस अनहोनी के कारण गोपाष्टमी का संबन्ध गोपूजन के साथ ही सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून की मांग के साथ जुड़ गया है।
स्वतन्त्रता के पूर्व कांग्रेस के नेतागण जनता को स्वतंत्रता आंदोलन के साथ जोड़ने के लिए जो अनेक बातें बताते थे, उनमें से एक बात यह भी होती थी कि स्वतंत्रता मिलने पर हमारी पूज्य गोमाता की हत्या को कानून बनाकर बंद कर दिया जाएगा। 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया। 26 जनवरी 1950 को भारत का अपना संविधान भी लागू हो गया। पर उस संविधान में संपूर्ण गोहत्याबंदी कानून नहीं बना। केवल धारा 48 में भविष्य में ऐसा कानून बनाने की सदिच्छा का समावेश किया गया। इस कारण 1952 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने ‘संपूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ बनाने की मांग के लिए देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। लगभग 1.75 करोड़ हस्ताक्षर युक्त ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ की मांग करने वाला ज्ञापन 8 दिसम्बर 1952 को महामहिम राष्ट्रपति को दिया गया। एक दशक बीत जाने के बाद भी जब केन्द्र सरकार ने ‘सम्पूर्ण गोहत्या बंदी कानून’ नहीं बनाया तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक पूजनीय गुरुजी (गोलवलकर जी) की पहल पर विशाल गोरक्षा आंदोलन की तैयारी हुई। इस आंदोलन का नेतृत्व पूज्य शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ, पूज्य संत प्रभुदत ब्रह्मचारी, गीताप्रेस गोरखपुर के संस्थापक पूज्य हनुमानप्रसाद जी पोद्दार और श्रीगुरुजी कर रहे थे।

इस आंदोलन का ही चरमोत्कर्ष था दिल्ली में सन 1966 की गोपाष्टमी के दिन हुआ विशाल प्रदर्शन। उस आंदोलन में सैकड़ों पूज्य संतों और गोभक्तों के बलिदान हो जाने के बाद भी केंद्र सरकार ने ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ नहीं बनाया। 1977 में जनता पार्टी सरकार बनी। पूज्य विनोबा भावे ने केंद्र सरकार से ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ बनाने की मांग के लिए लंबी भूख हड़ताल की। पर जनता पार्टी सरकार ऐसा कानून बनाने से पहले ही टूट गई। 1998 में भाजपा की केंद्र में गठबंधन सरकार बनी। उस सरकार ने फिर एक बार ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ बनाने का प्रयास किया, पर गठबंधन के अन्य सहयोगियों के दबाव में वह कानून नहीं बन पाया। उसके बाद संघ परिवार के सहयोग से 30 सितम्बर 2009 से लेकर 10 जनवरी 2010 तक गोरक्षा की मांग के समर्थन में ‘विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा’ का आयोजन हुआ। गोरक्षा के लिए ‘संपूर्ण गोहत्या बंदी कानून’ की मांग करते हुए देशभर से लगभग 8.5 करोड़ हस्ताक्षर जमा किए गए और उस ज्ञापन को महामहिम राष्ट्रपति को सौंपा गया। मई 2014 में भाजपा की केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। पूज्य संतों और गोभक्तो में ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ के बन जाने की फिर आशा जागी। 1966 के आंदोलन को 50 वर्ष पूर्ण हो रहे थे। इसलिए 7 नवम्बर 2016 को दिल्ली में बलिदान हुए गोभक्तों को श्रद्धांजलि देने और सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून की मांग के लिए  सैकड़ों पूज्य संत और हजारों गोभक्त एकत्र हुए। इस सभा के माध्यम से ‘गोमाता का निर्देश पत्र’ सरकार और समाज के सम्मुख रखा गया। इस 20 सूत्री ‘गोमाता के निर्देशपत्र’ में प्रमुख सूत्र-केन्द्र सरकार से ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ बनाने की मांग ही है।
 मई 2019 में पहले से अधिक बहुमत से भाजपा की केंद्र में सरकार बन गई है। आज 2020 की गोपाष्टमी है। अभी तक केंद्र सरकार ने ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ बनाने की दिशा में कोई पहल नहीं की है। गोमाता के निर्देश पत्र को बनाने में मेरी भी भूमिका थी। इसलिए देशभर से अनेक पूज्य संत और गोभक्त मुझसे ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ बनने की संभावना के बारे में प्रश्न कर रहें हैं।
सभी का एक सामान्य प्रश्न है-‘अगर संघ परिवार की पूर्ण बहुमत वाली सरकार रहते ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ नहीं बन रहा है, तो फिर कब बनेगा?’ मैं भी ऐसा ही सोचता हूं। अत: पूज्य संतों और गोभक्तों की भावनाओं को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का कर्त्तव्य निभाते हुए मैं भी उन सब के साथ केंद्र सरकार से मांग कर रहा हूं कि वह 2021 की गोपाष्टमी के पहले ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ बना कर पूण्य अर्जित करें और ‘गोमाता का निर्देशपत्र‘ को पूर्णत: क्रियान्वित करे। तभी ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ को उचित ढ़ग से लागू किया जा सकेगा और निराश्रित गोवंश की ठीक से देखभाल हो सकेगी।

के.एन. गोविन्दाचार्य


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