विश्लेषण : राम मंदिर से राम राज तक

Last Updated 10 Aug 2020 02:23:56 AM IST

जो यश सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर निर्माण करवा कर या जगमोहन ने वैष्णो देवी श्राईन बोर्ड बना कर अर्जित किया था, उससे कहीं ज्यादा यश आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीराम मंदिर के निर्माण की आधारशिला रख कर अर्जित कर लिया।


विश्लेषण : राम मंदिर से राम राज तक

क्योंकि अयोध्या, मथुरा और काशी पर मौजूद मस्जिदें दुनिया के ¨हदू बाहुल्य देश की जनभावनाओं पर नासूर की तरह रहीं हैं। इसलिए आज वहां मंदिर निर्माण का सपना साकार होते देख दुनिया भर के ¨हदुओं में हर्ष है।
कुछ मोदी आलोचकों का आरोप है कि धर्मनिरपेक्ष स्ंविधान की शपथ खाने वाले प्रधानमंत्री ने मंदिर के भूमिपूजन में जा कर उसका उल्लंघन किया है। उनका यह भी आरोप है कि तत्कालीन मुख्य  न्यायाधीश रंजन गोगोई से मंदिर के पक्ष में निर्णय एक ‘डील’ के तहत हुआ, जिसमें गोगोई को राज्य सभा में भेज दिया गया। इन आलोचकों को मैं बताना चाहूंगा कि 1989 में मैंने एक बार दिल्ली के दबंग कांग्रेस नेता एच.के.एल. भगत से पूछा था कि आपके किस गुण के कारण आपकी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से इतनी निकटता थी? उनका जवाब सुनकर मैं धक्क रह गया था। जवाब था, मैं इंदिरा जी के लिए न्यायपालिका को मैनेज करने का काम करता था। इसके 20 वर्ष बाद जब मैंने भारत के पदासीन मुख्य न्यायाधीशों के घोटाले खोले तो सारा खेल समझ में आ गया। इसलिए इसमें नया कुछ भी नहीं है। वैसे भी कानून जनता के हित के लिए होते हैं, जनता कानून के लिए नहीं होती। मोदी जी ने बहुसंख्यक समाज की सदियों पुरानी पीड़ा को समझा और साम, दाम, दण्ड, भेद की नीति अपनाकर प्रबल इच्छाशक्ति का प्रमाण दिया, जिससे निश्चय ही ¨हदू समाज अभिभूत है।

अगर यह कहा जाए कि मोदी का लक्ष्य मंदिर को राजनीतिक रूप से भुनाना है, तो इसमें भी कौन सी नई बात है। सभी राजनैतिक दल वोटों पर निगाह रख कर ही तो अपना एजेंडा बनाते हैं। मैं तो कहूंगा कि अगर मोदी जी इसी माहौल में मथुरा और काशी को भी मुक्त करा दें तो सदियों की पीड़ा से ¨हदू समाज को राहत मिलेगी। 5 अगस्त को अयोध्या में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में दो विशेष बात थीं। पहली; उन्होंने बिना किसी का नाम लिये ही बड़ी विनम्रता और दीनता के साथ उन सबका स्मरण किया, जिन्होंने पिछले 500 वर्षो में राम मंदिर की मुक्ति के लिए कुछ भी योगदान किया था। दूसरी विशेषता; वे पूरी तरह राम भक्ति के रंग में रंगे हुए थे। उन्होंने भाजपा का राजनीतिक नारा ‘जय श्रीराम’ न लगा कर राम भक्तों में सदियों से प्रचलित ‘जय सियाराम’ का उदघोष किया। इतना ही नहीं उनका उद्बोधन भगवान राम के जीवन, आदशरे व रामचरितमानस के आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित था। उन्होंने भगवान श्रीराम को और उनके राम राज्य को हर भारतीय के लिए आदर्श बताया और उस पर चलने की प्रेरणा लेने को कहा। मोदी जी के इस भक्ति भाव का सम्मान करते हुए मैं अयोध्या के उस धोबी का स्मरण दिलाना चाहूंगा, जिसकी निराधार टिप्पणी को भी गम्भीरता से लेते हुए भगवान श्रीराम ने सीता माता का त्याग कर दिया था। ताकि समाज में लोकतांत्रिक मूल्यों का भी आदर हो। 6 वर्ष बीत गए जब मोदी जी ने ब्रज विकास की मेरी प्रस्तुति को डेढ़ घंटा बैठ कर देखा और सराहा था।
इन 6 वर्षो में मैंने अनेक लेखों, सोशल मीडिया और मोदी जी के विश्वासपात्र अफसरों के माध्यम से बार-बार उनका ध्यान इस ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है कि जिन पूर्ववर्ती सरकारों को वे हर भाषण में भ्रष्ट बताते हैं उन्हीं सरकारों के समय स्थापित हुए तौर तरीकों से आज भी तीथरे के विकास के नाम पर जनता के धन की भारी बर्बादी और भ्रष्टाचार हो रहा है। इसके तमाम प्रमाण भी मैंने समय-समय पर प्रकाशित किए। एक सनातनी ¨हदू होने के कारण मेरी प्राथमिकता केवल ब्रज है। या यूं कहें कि हमारी आस्था के सभी केंद्र हैं। ¨हदू धर्म के प्रति आस्था जताने वाले राज में धर्मक्षेत्रों में ये लूट क्यों? मैं दुनिया को सप्रमाण यह बता चुका हूं कि भ्रष्टाचार के मामले में सभी दलों का एक सा हाल होता है। यह आज की व्यवस्था में भी सप्रमाण सिद्ध किया जा सकता है। पर मैं उस ओर न जाकर केवल धर्म क्षेत्र की ही बात करना चाहता हूं। क्योंकि न सिर्फ मोदी जी ने बल्कि  सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने और भाजपा ने लगातार भगवान राम के आदशरे से प्रेरणा लेने का आह्वान किया है।
इस संदर्भ में इन सभी महानुभावों को संबोधित करते हुए मैंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर यह खुला पत्र भेजा है, आप जानते हैं कि दशरथ जी के देहांत के बाद भरत जी ननिहाल से अयोध्या लौटने पर विलाप करते हुए कहते हैं कि ‘अगर मैंने स्वप्न में भी भैया राम की जगह राजा बनने का सोचा हो तो मेरी वही दुर्गति हो जो ‘धर्मध्वजियों’ (जो धर्म का दोहन करते हैं) की होती है।’ आप जानते हैं कि सभी ब्रजवासियों, संतों व भक्तों द्वारा आजतक सराही जा रही ब्रज (मथुरा) की अभूतपूर्व सेवा जो ‘द ब्रज फाउंडेशन ने गत 18 वर्षो में की है, उसे विधर्मी औरंगजेब के तरीके से रोकने और नष्ट करने का घृणित कार्य गत 3 वर्षो में यूपी शासन में बैठे कुछ लोगों द्वारा, ‘उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद’ के साथ षड्यंत्र करके, हम पर मिथ्या आरोप थोप कर किया गया, जिससे वे लोग ब्रज में धाम सेवा के नाम पर रोजाना ख़ूब घोटाले कर सकें और जगह-जगह गौशालाएं हड़पने का काम बेरोकटोक कर सकें। जो ब्रज में धड़ल्ले से आज हो रहा है। ये सब कुछ जानकर भी आप मौन क्यों हैं? इन लोगों ने तो ईष्र्या वश राहुल बजाज और अजय पीरामल जैसे दानदाताओं के नाम के व हमारे शिलालेख तक पुतवा दिये।
¨हदू धर्म की तन मन धन से निस्वार्थ सेवा करने वालों से ये कैसा ¨हदुत्ववादी व्यवहार है? आशा है आप इस लंबित विषय पर कुछ करेंगे? तो क्या ये माना जाए कि मोदी जी, भागवत जी और योगी जी अयोध्या के अपने उद्बोधन के तारतम्य में रामराज्य के मुझ ‘धोबी’ की भावना का सम्मान करते हुए, मथुरा, काशी, अयोध्या जैसे धर्मस्थलों के विकास और सौंदर्यकरण में चले आ रहे भ्रष्ट और संवेदनाशून्य र्ढे से हट कर हमारे अनुभवजन्य ज्ञान को महत्त्व देंगे? रामराज्य की दिशा में यह एक छोटा पर महत्त्वपूर्ण कदम होगा।

विनीत नारायण


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