बस्तर : आदिवासियों में जग रहा भरोसा
किसी भी राज्य में औद्योगिक विस्तार और निवेश को आकर्षित करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति और जनता में सरकार के प्रति भरोसा। छत्तीसगढ़ अपने जन्म के समय से ही नक्सलवादी हिंसा से जूझता रहा है।
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खासतौर पर बस्तर का इलाका तो छत्तीसगढ़ बनने से पहले भी नक्सलवादियों का गढ़ रहा है।
विकास की कमी और आम जनता पर नक्सलियों की पकड़ ने इस क्षेत्र को हमेशा पीछे रखा, लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं। आदिवासी बहुल इस प्रदेश में विष्णु देव साय के प्रदेश के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री बनने का असर अब साफ दिखने लगा है। राज्य पुलिस ने केंद्रीय बलों के साथ मिलकर नक्सलियों पर काफी हद तक न केवल नकेल कसी है बल्कि आदिवासी होने के नाते मुख्यमंत्री साय में राज्य के लोगों का भरोसा भी बढ़ रहा है।
यही वजह है कि बस्तर अब भय और पिछड़ेपन से निकलकर विकास और विश्वास के नये धरातल पर खड़ा है और शांति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। कभी उपेक्षा और अभाव की पहचान से जूझने वाला यह क्षेत्र अब निवेश, अवसर और रोजगार का नया केंद्र बन रहा है।
मुख्यमंत्री के प्रति प्रदेश के लोगों में बढ़ता भरोसा और केंद्र सरकार के नक्सल विरोधी अभियानों से न केवल इस क्षेत्र में उद्योग और शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य, कृषि और पर्यटन तक हर क्षेत्र में बदलाव दिखने लगा है, बल्कि उम्मीद और विश्वास की नई किरण जगी है। पिछले 20 महीनों में मुख्यमंत्री बस्तर के 100 से अधिक इलाकों का दौरा कर चुके हैं। इन दौरों ने जनता में उनकी विसनीयता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्षेत्र में नक्सलवाद पर नियंत्रण ने विकास कार्य की राह सुगम की है।
इसी का नतीजा है कि बस्तर संभाग के जगदलपुर में पहली बार 350 बेड का मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज स्थापित किया जा रहा है। इस पर 550 करोड़ रुपये की लागत आएगी और 200 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। इसी क्रम में जगदलपुर में नवभारत इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा 85 करोड़ रुपये के निवेश से 200 बेड का मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और 33 करोड़ रुपये के निवेश से एक अन्य मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाया जा रहा है।
यहां पर 7.65 करोड़ रुपये के निवेश से नमन क्लब एवं वेलनेस सेंटर भी शुरू होने जा रहा है। इन परियोजनाओं से बस्तर में आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं एवं वेलनेस का विस्तार होगा और सैकड़ों युवाओं को रोजगार मिलेगा। यहां की जनता भी अब हिंसा से ऊब कर इस नये बदलाव को सहर्ष स्वीकार कर रही है। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है और इसे ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है, लेकिन यहां खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का विस्तार जरूरत के अनुसार नहीं हो पाया।
मुख्यमंत्री ने इस कमी की भरपाई करने की योजना बनाई और इसी के तहत बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर, बस्तर और कोण्डागांव जिलों में आधुनिक राइस मिल और फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना की जा रही है। रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ औद्योगिक विकास नीति 2024 के अंतर्गत 1000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने वाली या 1000 से अधिक रोजगार सृजित करने वाली परियोजनाओं के लिए विशेष प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है।
इस नीति में औषधि निर्माण, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र उद्योग, आईटी एवं डिजिटल तकनीक, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस व डिफेंस और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। पर्यटन को भी उद्योग का दर्जा प्रदान किया गया है। इसके तहत बस्तर में होटल, इको-टूरिज्म, वेलनेस सेंटर, एडवेंचर स्पोर्ट्स और खेल सुविधाओं जैसी परियोजनाओं पर 45 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। नई औद्योगिक नीति लागू होने के बाद अब तक प्रदेश सरकार के पास लगभग 6 लाख 65 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आ चुके हैं।
बस्तर में न केवल नक्सलियों की गतिविधियों को कमजोर किया गया है, बल्कि विकास का माहौल भी तेजी से बन रहा है। पिछले 20 महीनों में 65 नये सुरक्षा कैम्प स्थापित किए गए हैं, जिनसे दुर्गम इलाकों में सुरक्षा का दायरा बढ़ा है और ग्रामीणों में आत्मविश्वास की भावना मजबूत हुई है। आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों के लिए घोषित नई पुनर्वास नीति ने उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का बेहतर अवसर प्रदान किया है। नई नीति में वित्तीय सहायता बढ़ाई गई है और आवास व भूमि का स्पष्ट प्रावधान किया गया है।
नई नीति में आत्मसमर्पण करने वालों को तीन वर्षो तक प्रतिमाह 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता, शहरी क्षेत्र में चार डिसमिल जमीन या ग्रामीण क्षेत्र में एक हेक्टेयर कृषि भूमि उपलब्ध कराने का फैसला विष्णु देव साय सरकार ने किया है। इसी तरह, मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत अब तक 90,273 युवाओं को विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें से 39,137 युवाओं को रोजगार मिला है।
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