सरोकार : सौंदर्य के प्रतिमान तोड़तीं महिलाएं
लंबे बालों को लड़कियों की खूबसूरती का राज बताया जाता है पर बाल सिर्फ सिर पर ही हों तो अच्छा। बगल के बाल, या हाथ या पैरों, चेहरे के बाल लड़कियों के लिए जुगुप्सा के विषय होते हैं।
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इनकी वजह से दुनिया भर में हेयर रीमूवल क्रीम्स का करोड़ों का कारोबार चलता है पर लड़कियां इसे धता बताने पर तुली हैं। दुनिया भर में बॉडी हेयर को लेकर लड़कियों का धारणा बदल रही है। पिछले साल जनवरी से जैनूहेयरी नाम का एक अभियान दुनिया भर में चल रहा है, जो लड़कियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित कर रहा है कि वे अपने बॉडी हेयर को लेकर शर्मिंन्दा न हों और उन्हें हटाने के बारे में न सोचें।
इस अभियान की शुरुआत लॉरा जैकसन नाम की एक स्टूडेंट ने की जो दक्षिण पश्चिम के एक्सटर विश्वविद्यालय में ड्रामा पढ़ती हैं। एक नाटक के लिए वह अपने बॉडी हेयर को बढ़ा रही थीं। तब उन्हें ख्याल आया कि क्यों न ऐसा एक अभियान शुरू किया जाए। अब इस अभियान के जरिए जलवायु परिवर्तन के लिए धनराशि जुटाई जा रही है। फेसबुक पर लॉरा ने जनवरी में सबको एक महीने के लिए रेजर छोड़कर अपने शरीर के बालों को बढ़ाने को कहा। वैसे इसकी शुरुआत 1999 में ही हो गई थी। तब हॉलिवुड ऐक्ट्रस जूलिया रॉबर्ट्स ने एक ऐसे ड्रेस को पहन कर विश्व स्तर पर लोगों को ध्यान आकर्षित किया था, जिसमें उनके अनशेवन आर्मपिट्स नजर आ रहे थे। इन दिनों जेन जेड पॉप स्टार्स आमंडला स्टेनबर्ग से लेकर माइली साइरस तक अक्सर बॉडी हेयर के साथ नजर आती हैं।
ब्रांड्स भी खुद को इसके लिए तैयार कर रहे हैं। पिछले साल नाइकी और नम्बर 7 जैसे ब्रांड्स ने अपने विज्ञापनों में ऐसे मॉडल्स को उतारा था, जिनके अंडर आर्म्स और अपर लिप्स पर बाल थे। फिर भी असल जिंदगी में लड़कियों के लिए ऐसा करना बहुत आसान नहीं। यह शर्मिंन्दगी का सबब बन जाता है। मार्केट एनालिस्ट मिंटल का कहना है कि 2013 में 25 साल से कम की हर 20 में से एक लड़की बॉडी हेयर को शेव करती थी। पर अब यह संख्या हर चार में से एक हो गई है। यों यह अपनी-अपनी मर्जी का मामला है। किसी पर किसी भी बात का दबाव नहीं होना चाहिए। अक्सर समाज के रवैये को देखकर हम अपना रवैया बदल लेते हैं। पर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस रवैये से विपरीत जाते हैं। कई साल पहले हरनाम कौर नाम की सिख लड़की की खबरें आई थीं, जिसे दाढ़ी थी। वह ब्रिटिश नागरिक हैं। बारह साल की उम्र में उन्हें पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम हुआ था, जिसके कारण उनके भीतर पुरुष हारमोन्स बढ़ गए। उनके शरीर और चेहरे पर बाल आने लगे। पहले पहल तो उन्होंने दाढ़ी कटवा ली। चूंकि लोग उनका खूब मजाक बनाते थे। पर फिर उन्हें लगा कि इस गैर-परंपरागत रूप को अपनाने में परेशानी क्यों होनी चाहिए। उन्होंने तय किया कि वह अपनी दाढ़ी रखेंगी और औरतों के तथाकथित सौंदर्य के प्रतिमानों को खंडित करेंगे। 2016 में हरनाम वह पहली दाढ़ी वाली महिला थीं, जो लंदन फैशन वीक में नजर आई।
इसी साल एनेलाइस होफमायर नाम की कंसेप्चुल आर्टस्टि ने एक बॉर्बी डॉल को हरनाम जैसा रूप दिया। सितम्बर, 2016 में हरनाम का नाम गिनीज र्वल्ड रिकॉर्ड में भी आया। हाल में आयुष्मान खुराना वाली ‘बाला’ फिल्म में इसी ट्रेंड को सपोर्ट किया गया। सुंदरता के घिसे-पिटे फॉर्मूले को तोड़ने वाली ‘बाला’ में सीमा पाहवा के चेहरे पर हल्की मूंछें थीं, पर वह इसे लेकर चिंतित नहीं-कूल हैं। जैनूहेयर भी इसी सोच के साथ शुरू हुआ है। आप जैसे हैं, वैसे रहें और मस्त रहें। चाहे बाल हों या न हों-बाल सफेद हों या काले। जो अपनी मर्जी हो, वह करें-बिना किसी दबाव के।
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