बढ़ दे दनादन देश प्यारे
‘बधाई हो ददाजू!’ झल्लन झमकते हुए आया और चहकते हुए बोला। हमने असमंजसग्रस्त होते हुए कहा, ‘तू जब भी आता है कोई न कोई बधाई लिए आता है, रोज-रोज नयी-नयी बधाइयां कहां से निकाल लाता है?’
बढ़ दे दनादन देश प्यारे |
फिर हमें खयाल आया कि भारत के चंद्रयान का लैंडर चंद्रभूमि की बलैयां ले रहा है, झल्लन शायद उसी की बधाई दे रहा है। हमने कहा, ‘अगर तू चंद्र मिशन सफल होने की बधाई दे रहा है तो इससे हमें कब इनकार है, तेरी बधाई स्वीकार है।’ झल्लन बोला, ‘चंद्र मिशन तो छोटी बात है ददाजू, हम तो बहुत बड़ी बात की बधाई दे रहे हैं जिसे आप भी जानते हैं मगर संज्ञान नहीं ले रहे हैं।’
हमने अपने दिमाग का लंगर हटाया, अपनी जानकारी के समंदर में गोता लगाया मगर हाथ कुछ नहीं आया। हम बोले, ‘सीधे बता क्यों नहीं रहा है कि ऐसा क्या हो गया है जो तू इतना खुश हो गया है?’ वह बोला,‘अरे ददाजू, जो अब तक नहीं हुआ वह होने जा रहा है। अपना प्यारा भारत दुनिया में नंबर वन होने का तमगा लेने जा रहा है।’ हमने फिर दिमाग घुमाया, इधर-उधर दौड़ाया पर पकड़ में कुछ नहीं आया। हमने प्रश्नाकुल दृष्टि से उसे निहारा तो उसने अगला वाक्या उचारा, वह बोला, ‘ददाजू, अब तक चीन नंबर वन था अब हम होने जा रहे हैं, बस साल-दो-साल की बात और है हम उसे मात देने जा रहे हैं।’
हमने फिर अपना दिमाग खंगाला और जो ताजा आंकड़ा हमने पढ़ा था वह निकाला और कहा,‘भई,1990 में हम भले ही चीन से मालदार थे पर आज चीन हमसे पांच गुना ज्यादा धनवान है, ज्यादा सामथ्र्यवान है। प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से उसका 75वां नंबर है तो हम 126वें पर पड़े हैं, बता हम कहां आगे बढ़े हैं?’ वह बोला,‘क्या ददाजू,आप तो पिटा-पिटाया आंकड़ा पढ़ रहे हैं, जबर्दस्ती हमारे ऊपर जड़ रहे हैं। उस आंकड़े पर आइए जिसमें भारत जल्द ही अपना परचम लहराएगा और चीन हमसे पिछड़कर दो नंबर पर सिमट जाएगा।’
हमने फिर अपनी जानकारी में गोता लगाया और शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासनिक सेवा, न्याय विधान और सैन्य शक्ति आदि सबको मन ही मन दोहराया मगर चीन को अपने भारत महान से कोसों आगे पाया। झल्लन हमारी उलझन देखकर मुस्कुराते हुए बोला,‘ददाजू, अपने दिमाग को थोड़ा वहां लगाइए जहां हम दे-दनादन आगे बढ़ रहे हैं, जहां हमारे आंकड़े सनासन ऊंचाई चढ़ रहे हैं।’ हमने कहा,‘जहां तक हमें याद आ रहा है हमें तो अपना देश किसी भी क्षेत्र में चीन से आगे नजर नहीं आ रहा है।’
झल्लन बोला,‘ददाजू,आप फालतू में इधर-उधर दिमाग दौड़ा रहे हैं सीधे मुद्दे पर क्यों नहीं आ रहे हैं।’ हमने कहा, ‘इधर-उधर तू ही घुमा रहा है सीधे मुद्दे पर तू ही नहीं आ रहा है।’ वह बोला, ‘हमने सोचा था आप समझदार हैं, हर चीज से खबरदार हैं। आपको इतना भी नहीं पता कि अगले साल-दो-साल में हम चीन का रिकार्ड उखाड़ देंगे, अपनी आबादी इतनी बढ़ा लेंगे कि उसे पछाड़ देंगे। बरसों से जो रिकार्ड चीन के नाम था, वह हमारे नाम हो जाएगा, हर देशभक्त भारतीय का अधूरा सपना पूरा हो जाएगा। ददाजू, सोचिए, जब यह तथ्य दुनियाभर के बच्चों को बताया जाएगा तो हर भारतीय का सीना गर्व से तन जाएगा।’
मन हुआ कि अपना माथा ठोक लें या झल्लन को वहीं ठोक दें। बढ़ती आबादी की जिस समस्या पर देश का हर समझदार व्यक्ति चिंता कर-करके मरा जा रहा है, यह बेवकूफ उसी पर खुशी मना रहा है। हमने गुस्से से कहा, ‘लगता है तेरी समझ के पायदान गीले हो गये हैं या तेरे दिमाग के पेंच ढीले हो गये हैं। जिस बात को लेकर हमारा प्रधानमंत्री भी परेशान हो रहा है तू उस पर इतना खुश हो रहा है।’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, परेशान होने से आबादी रुक तो नहीं जाएगी। उसको बढ़ना है सो बढ़ती जाएगी और कुछ नहीं तो कम से कम रिकार्ड बनाने के काम तो आएगी।’ हमने गुस्से से कहा, ‘तू चाहता है कि रिकार्ड की खातिर सब कुछ भुला दें, बढ़ती आबादी की सारी चिंताओं को सुला दें।’
झल्लन हंसते हुए बोला,‘ददाजू, चिंता करके क्या होगा, होगा वही जो मंजूरे खुदा होगा। अगर खुदा चाहता है कि हम रिकार्ड बनाएं तो हम जरूर बनाएंगे और अगर रिकार्ड बनेगा तो दुख काहे का, खुशी ही मनाएंगे।’ हमने कहा,‘तुझे पता है बढ़ती आबादी ने क्या किया है, हमारी सारी तरक्की का कबाड़ कर दिया है। देश की आधी आबादी आज भी भरपेट नहीं खा पाती जो उसे मिलना चाहिए वह नहीं पा पाती। खाने-पीने के हमारे सारे संसाधन चुक रहे हैं, खुशहाली के सारे प्रयास बढ़ती आबादी के आगे दंडवत झुक रहे हैं। शहर-गांव सब बदहाल हो रहे हैं, यह सब इसलिए हो रहा है कि हम बढ़ती आबादी का बोझ ढो रहे हैं।’ झल्लन बोला,‘क्या ददाजू,आप तो फालतू में परेशान हो रहे हैं। अगर हम बढ़ती आबादी पर रोक लगाएंगे तो ईश्वर और अल्ला दोनों नाराज हो जाएंगे। सो सब ईश्वर-अल्ला पर छोड़ चिंतामुक्त हो जाइए और दुनिया में शीघ्र ही नंबर वन हो जाने की खुशी मनाइए।’
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