क्रिकेट : अब मिलेगा टेस्ट का विश्व चैंपियन
क्रिकेट में वनडे फॉम्रेट के विश्व कप के बाद टी-20 विश्व कप की सफलता से प्रेरित होकर टेस्ट क्रिकेट की विश्व चैंपियनशिप आयोजित करने का विचार आईसीसी के जेहन में पहली बार 2009 में आया था।
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यह विचार न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान मार्टिन क्रो के दिमाग की उपज थी। इसके ठीक दस साल बाद आईसीसी अपनी इस योजना को अमली जामा पहनाने में सफल हो सकी है। अगस्त से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच शुरू होने वाली एशेज सिरीज के साथ पहली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत हो रही है। यह चैंपियनशिप दो साल में पूरी होगी। पहले दो स्थानों पर रहने वाली टीमों के बीच जून, 2021 में क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लंदन के लार्डस मैदान पर फाइनल खेला जाएगा। इस तरह दुनिया को जून 2021 में पहली बार टेस्ट क्रिकेट का विश्व चैंपियन मिल जाएगा।
इस चैंपियनशिप के आयोजन से आईसीसी के खाते में तीनों प्रारूपों की विश्व चैंपियनशिपों का आयोजन करना शामिल हो गया है। आईसीसी ने वैसे तो 12 देशों को टेस्ट खेलने का दरजा दिया हुआ है लेकिन इस चैंपियनशिप में सिर्फ नौ देशों को शामिल किया है। टेस्ट दरजा प्राप्त जिम्बाब्वे, आयरलैंड और अफगानिस्तान को इसमें शामिल नहीं किया गया है। वजह इनका सबसे निचली रैंकिंग की टीमें होना है। इन तीनों को इस दौरान फ्यूचर टूर प्रोग्राम में तो शामिल किया गया है पर इनके द्वारा खेले गए टेस्ट चैंपियनशिप का हिस्सा नहीं होंगे। इस चैंपियनशिप में भाग लेने वाली टीमों को आठ संभव सिरीजों के मुकाबले छह ही सिरीजें खेलनी होंगी। इस कारण इस चैंपियनशिप में भारत को पाकिस्तान और श्रीलंका से सिरीज नहीं खेलनी होगी। इसी तरह अन्य टीमें भी किन्हीं दो टीमों से सिरीज नहीं खेलेंगी। वैसे आईसीसी ने इन टीमों के फ्यूचर टूर कार्यक्रम में आने वाली सिरीजों को ही चैंपियनशिप में शामिल किया है। वैसे टीमें इन सिरीजों के अलावा भी सिरीज खेलेंगी पर वह चैंपियनशिप के अंतर्गत नहीं आएंगी।
इस चैंपियनशिप में इस बात का ख्याल रखा गया है कि सभी देश बराबर टेस्ट नहीं खेलते हैं, इसलिए अंकों पर इसका असर नहीं पड़े। इसके लिए हर सिरीज के हिसाब से अंक रखे गए हैं। अब कोई भी टीम दो से लेकर पांच टेस्ट की सिरीज खेले पर उसे सीरिज में अधिकतम 120 अंक ही मिल सकेंगे। दो टेस्ट की सिरीज खेलने पर जीत पर 60 अंक, ड्रा पर 20 अंक और टाई होने पर 30 अंक देने की व्यवस्था है। इसी तरह पांच टेस्ट की सिरीज खेलने पर जीत पर 24, ड्रा पर आठ और टाई पर 12 अंक मिलेंगे। इसलिए टीमों को छोटी और बड़ी टेस्ट सिरीज खेलने पर नफा नुकसान नहीं होगा। इसमें आने वाले समय में टीमें कम टेस्टों की सिरीज आयोजित करने पर जोर दे सकती हैं। ऐसा होने पर टेस्ट क्रिकेट से होने वाली कमाई में कमी आ सकती है। इसके अलावा यह भी है कि पांच टेस्टों की सिरीज खेलने वाली टीमों को अंक पाने के लिए ज्यादा संघर्ष करना पड़ेगा।
सभी टीमों के कार्यक्रम को इस तरह बनाया गया है कि इस चैंपियनशिप की दो साल की अवधि के दौरान उन्हें घर और बाहर तीन-तीन सिरीज खेलनी पड़ें। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में इंग्लैंड सबसे ज्यादा 22 टेस्ट खेलेगी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया 19 और भारत 18 टेस्ट खेलेगा। वहीं पाकिस्तान और श्रीलंका सबसे कम 13-13 टेस्ट खेलेंगी। टेस्ट खेलने में भिन्नता की वजह टीमों का पहले से विभिन्न देशों के खिलाफ सिरीज में कितने टेस्ट खेलने हैं, यह तय है। पर हर सिरीज में अधिकतम 120 अंक मिलना तय है। इसका मतलब है कि इस चैंपियनशिप में एक टीम अधिकतम 720 अंक हासिल कर सकती है।
आईसीसी यदि इस चैंपियनशिप के टेस्ट मैचों में इस्तेमाल होने वाले विकेट के लिए भी कोई मापदंड निर्धारित करती तो मुकाबले और बेहतर हो सकते थे। मौजूदा समय में मेजबान टीमें अपनी ताकत के हिसाब से विकेट तैयार करके हालात को अपने अनुकूल करती हैं। अब आप सोचें कि ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड को दो विदेशी सिरीज भारत, पाकिस्तान या श्रीलंका में खेलनी पड़ जाएं तो समझो उनका तो काम हो गया। इसलिए विकेट बनाने में कुछ मापदंड तो तय किए ही जाने चाहिए। इस चैंपियनशिप में यहां तक भारत की बात है, तो उसे विदेशी सिरीज ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलनी हैं, इसलिए उसके सामने हालात आसान नहीं रहने वाले हैं। पर इन हालात में जीत पाने वाला ही सही मायनों में चैंपियन बनने का हकदार भी बनेगा।
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