पारदर्शिता भी जरूरी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत को अपेक्षाकृत शांत अवधि के दौरान भी अनिश्चितता के लिए तैयार रहना चाहिए। शांति के समय को भ्रम बताते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सशस्त्र बलों के पराक्रम की भी उन्होंने सराहना की।
![]() पारदर्शिता भी जरूरी |
सिंह ने रक्षा लेखा विभाग के अपने संबोधन में कहा कि विश्व हमारे रक्षा क्षेत्र को सम्मान की दृष्टि से देख रहा है। अधिकतर उपकरण जो हम पहले आयात करते थे, अब देश में ही बनाए जा रहे हैं। अधिकारियों को बाहरी ऑडिट या सलाहकारों पर निर्भर रहने की बजाय आत्मावलोकन द्वारा आंतरिक सुधार करने की सलाह भी दी।
बीते साल वैश्विक सैन्य व्यय के तकरीबन पौने तीन लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर पर पहुंचने की चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री ने इसे स्वदेशी रक्षा उद्योग के लिए अपार अवसर बताया। इस संबोधन में अनिश्चितता व शांति के समय को भ्रम बताने के पीछे की उनकी रणनीति चुनौती के तौर पर समझी जा सकती है।
बेशक, मुल्क के आंतरिक व सीमापार से होने वाले हमलों पर गोपनीयता बरतना हितकारी है मगर ऐसे किसी भी संकट के प्रति सरकार को सेना को सतर्क भी रखना होगा। मेक इन इंडिया के लॉन्च के बाद यानी 2014-15 से 2023-24 तक भारत का रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
रक्षा मंत्रालय ने 2024-25 में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 193 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि इनमें से 92% घरेलू रक्षा उद्योग को दिए गए। रक्षा उपकरणों पर आत्मनिर्भरता देश की सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह उन महाशक्तियों के लिए भी चुनौती है, जिनका इस क्षेत्र में एकक्षत्र राज रहा है।
रक्षा क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता के चलते अब 65% रक्षा उपकरण घरेलू स्तर पर निर्मित हो रहे हैं। चूंकि रक्षा मंत्रालय की ऑडिट रिपोर्टस सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध नहीं होतीं इसलिए सरकार व सैन्याधिकारियों का जिम्मा है कि अपनी समीक्षा स्वयं करें।
हालांकि लंबे समय से रक्षा विभाग की मीडिया नीति को लेकर विवाद रहा है। गोपनीय या संवेदनशील रिपोर्ट के अतिरिक्त अन्य लेखा परीक्षक सूचनाओं के आधार पर नियम बनाए जा सकते हैं ताकि किसी भी तरह की लापरवाही या गड़बड़ियों से रक्षा विशेषज्ञों, संबंधित विश्लेषकों आदि को प्रचारित/प्रसारित किए बगैर विचार का मौका प्राप्त हो।
आंतरिक समीक्षा के बावजूद पारदर्शिता देश और देशवासियों के हित में कम आवश्यक नहीं कही जा सकती।
Tweet![]() |