नाम तो काम से ही

Last Updated 27 Jul 2023 12:45:39 PM IST

नाम पर घमासान मचा हुआ है। 2024 के लोकतांत्रिक महाभारत में अभी लंबा समय है। लेकिन पक्ष-विपक्ष ने जैसे ठान रखा है कि असली चुनावी लड़ाई गठबंधन के नाम पर होनी है।


नाम तो काम से ही

इसके इर्द-गिर्द ही आक्रमण के मुद्दे तय होंगे, नारे गढ़े जाएंगे, जुमले उछाले जाएंगे और वार-प्रतिवार के औजार ईजाद किए जाएंगे। इस तरह नाम को जो तार-तार कर देगा, उसकी जीत पक्की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कांग्रेस समेत 26 राजनीतिक दलों के ताजा बने गठबंधन ‘इंडिया’ पर हमलावर हैं। इस कदर कि वे उस पर बाण छोड़ने का कोई मौका नहीं चूकते। विपक्ष के लिए तो मोदी अकेले ही पूरा मुद्दा हैं। उसने ‘इंडिया’ नाम मोदी और एनडीए को उनके ही दांव-पेच से चित करने के लिए रखा है।

यह मोदी को भारत की अवधारणा का सबसे बड़ा ‘खलनायक’ घोषित कर सारी लड़ाई को मोदी बनाम पूरे देश का नैरेटिव बनाने के मकसद से किया गया है। उसके अनुरूप ही यह नाम नैसर्गिक रूप से मतदाताओं में खिंचाव पैदा कर रहा है। मोदी के आवर्ती प्रतिवार में इसलिए तेज धार और मारकता है। विपक्ष मोदी के वार को बोनस मान रहा है। प्रधानमंत्री विपक्ष के ‘इंडिया’ को देश को गुलाम बनाने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी के समानुरूप करार देते हैं।

वे वोटरों के जेहन में यह बात गहरे बैठाना चाहते हैं कि यह गठबंधन ऐसा गिरोह है, जिसका इतिहास जनता के सपनों की लूट का रहा है। वे कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए-काल में सार्वजनिक धन की चौतरफा लूट की कड़वी याद दिलाना चाहते हैं। प्रतिपक्ष पर बढ़त बनाने के लिए दोनों पक्ष एक दायरे में कुछ भी बोल सकते हैं पर उन्हें यह भी समझना होगा कि ठोस कार्यक्रमों के बिना केवल नाम के सहारे नैया पार नहीं लगेगी। एनडीए को समझना होगा कि ‘इंडिया’ पर उसका वार दोधारी तलवार की तरह काम करेगा।

एक तो हमारा देश ही इंडिया है। दूसरे, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में कई ऐसी योजनाएं शुरू की हैं, जिनके आदि या अंत में इंडिया आता है। इसलिए एनडीए को यह आरोप लगाने की भी सुविधा नहीं है कि विपक्ष जिस देश की बात कर रहा है, उस इंडिया  में केवल अमीर लोग रहते हैं, और असल भारत की अकेली चिंता वही कर रहा है। ‘इंडिया’ वालों ने नाम के आगे ‘जीतेगा भारत’ लिखकर उससे यह नैरेटिव भी छीन लिया है। इसलिए विपक्ष को पटखनी देने के लिए एनडीए को और अखाड़ा खोजना होगा। यह मुश्किल भी नहीं है। बस अपना रिपोर्ट कार्ड ठीक करना है-मणिपुर उसका पहला चरण होगा। काम के बिना नाम-वाम कहां चल पाता है।



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