गीतिका शर्मा आत्महत्या मामला : फैसले के निहितार्थ
विमान परिचारिका गीतिका शर्मा (Gitika Sharma) को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा (Gopal Kanda) को दिल्ली की निचली अदालत ने बरी कर दिया।
![]() हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा |
सहआरोपित अरुणा चड्ढा (Aruna Chadda) को भी अभियोजन पक्ष के उचित संदेहों से परे आरोपों को साबित न कर पाने पर बरी कर दिया गया। ग्यारह साल बाद आये इस फैसले से पहले ही कांडा 18 महीने जेल में रह चुके हैं। कांडा की एयरलाइंस में गीतिका एयर हॉस्टेस थीं जिन्होंने 2012 में अपने घर में फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली थी।
पुलिस को उनका जो सुसाइड नोट मिला, उसमें गोपाल और अरुणा पर विश्वासघात और धोखेबाजी का आरोप था। उस वक्त हरियाणा के गृहराज्य मंत्री रहे कांडा शुरुआत में इन आरोपों से मुकरते रहे पर बाद में उन्हें सरेंडर करना पड़ा था। हालांकि वह अभी भी विधायक हैं और भाजपा सरकार को राज्य में समर्थन दे रहे हैं।
कांडा रसूखदार हैं और धनवान भी, इसलिए मामले पर इसका असर नजर आने की पूरी गुंजाइश मानी जा रही थी। रेडियो रिपेयरिंग का काम करने वाले इस नेता के पास न केवल करोड़ों की संपत्ति है, बल्कि गोवा में कैसिनो भी चल रहे हैं। बहुत थोड़े समय में विमान परिचालिका से कांडा की कंपनी के ऊंचे ओहदे पर पहुंची गीतिका को भी संदेह के दायरे से मुक्त नहीं किया गया। पलक झपकते ही धनाढ़य़ बनने की ललक में विभिन्न जोखिमों के खतरे भी उठाने पड़ते हैं।
बड़े-बड़े सपने दिखाकर कच्ची उम्र की लड़कियों को चंगुल में फंसाकर अपने मकसद पूरे करने वाले नवधनाढ़य़ों का बड़ा जंजाल समाज में हर वक्त मौजूद रहता है जिनसे प्रभावित होना या बचना बहुत कठिन हो जाता है। पूर्वागृहों में उलझे बगैर इस बहुचर्चित मामले से नौजवानों को सबक भी लेना चाहिए। साक्ष्यों के अभाव या गवाहों के मुकरने का तात्कालिक लाभ भले ही आरोपित को मिला हो परंतु लंबे चलने वाले मामले मानसिक कष्ट व कानूनी तौर पर सुकून तो नहीं लेने देते।
समाज के बड़े वर्ग को यह फैसला खटक सकता है, मगर इसके प्रतिफलन से मुकरा नहीं जा सकता। अब गीतिका का परिवार ऊपरी अदालत जा सकता है। महत्त्वाकांक्षी होना अच्छा है पर कड़ी मेहनत के बूते सफलता पाने के फार्मूले को झुठलाया नहीं जा सकता। याद रहना चाहिए कि प्रगति की पथरीलें राहों का कोई शॉर्टकट नहीं हो सकता।
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