प्रतिबंध से जरूरी सख्ती
राजधानी दिल्ली में एसिड की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से दिल्ली उच्च न्यायालय ने इनकार कर दिया।
![]() प्रतिबंध से जरूरी सख्ती |
अदालत ने दिल्ली सरकार को मौजूदा कानूनों का उचित कार्यान्वयन करने व गैरकानूनी रूप से इसका उपयोग करने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अदालत के अनुसार पूर्ण प्रतिबंध अनजाने में उन व्यवसायों व लोगों को प्रभावित कर सकता है, जिन्हें वैध उद्देश्यों के लिए इसकी आवश्यकता होती है। पीठ ने अनियंत्रित एसिड बिक्री से उत्पन्न खतरे व एसिड हमलों को रोकने के लिए कड़े उपायों की जरूरत को स्वीकार करते हुए 2015 के नियमों को कठोरता से लागू करने के निर्देश दिए।
एसिड के खतरों से वाकिफ होने के बावजूद इसकी बिक्री को लेकर बरते जाने वाले गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण बार-बार इसे पूरी तरह प्रतिबंधित करने की बात होती है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि देश में प्रति वर्ष 200 से 300 एसिड फेंकने के मामले आते हैं। हालांकि असल में यह आंकड़ा हजार के करीब जाता है, जो रिपोर्ट ही नहीं किए जाते। औरतों के खिलाफ होने वाली हिंसा में एसिड अटैकों का इस्तेमाल इसीलिए होता है, क्योंकि कानूनी पाबंदियों के बावजूद ये आसानी से उपलब्ध है। सख्ती इनकी उपलब्धता व बिक्री पर होनी चाहिए।
यह स्थानीय प्रशासन व पुलिस का काम है। उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए। एसिड अटैकों से शरीर ही नहीं विकृत होता बल्कि पीड़ितों का जीवन बेहद कष्टकारी हो जाता है। इसके बाद होने वाला इलाज इतना महंगा है, जिसका खर्च उठाने में पीड़ित परिवार समेत लगभग उजड़ जाता है। सरकार द्वारा पीड़ितों को दी जाने वाली सहायता में भी घोर लापरवाही होती है। इसे भी दुरुस्त किया जाए व एसिड फेंकने वालों को कड़ी व त्वरित सजा हो। व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए होने वाली बिक्री को लेकर अदालत का नजरिया बेहद संतुलित है।
ढेरों ऐसे काम हैं, जिनके लिए एसिड की जरूरत से मनाही नहीं की जा सकती, परंतु इसकी बिक्री के प्रति बरती जा रही लापरवाही माफी योग्य कतई नहीं है। साथ ही एसिड बनाने, बेचने व वितरण करने वालों को और अधिक जिम्मेदार बनाया जाए। सामान्य पैकिंग की बजाए विशेष तौर पर सील बंद बोतलें तैयार की जाएं। हो सके तो व्यवस्थापकों पर भी कार्रवाई हो।
Tweet![]() |