भारी बारिश और बाढ़ से निबटने के लिए रखनी होंगी तैयारियां

Last Updated 26 Jul 2023 01:51:52 PM IST

राजधानी दिल्ली में भारी बारिश और उससे उपजी बाढ़ के कारण हालात बदतर बने हुए हैं। कुछ दिनों से बारिश नहीं होने से स्थिति के बेहतर होने का आकलन गलत साबित हुआ।


भारी बारिश और बाढ़ से निबटने के लिए रखनी होंगी तैयारियां

सोमवार को कई इलाकों में यमुना नदी का पानी घुस गया। पानी बढ़ने से यमुना बाजार, मदनपुर खादर और शास्त्री पार्क समेत कई इलाके बुरी तरह प्रभावित रहे। चिंता की बात है कि यमुना का पानी अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है। यानी लोगों की दुारियों का अंत नहीं होता दिखता है।

खासकर निचले इलाकों में रहने वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालांकि परेशानी का आलम सिर्फ यमुना के किनारे रह रहे लोगों के साथ ही नहीं है। प्रशासन को भी बाढ़ और बारिश के बाद बीमारियों के बढ़ते अंदेशे खत्म करने की भारी चिंता है।

दिल्ली में इस बार बारिश और पड़ोसी राज्यों द्वारा छोड़े गए पानी के कारण संकट से दो-चार होना पड़ा। स्थिति तो इतनी विकट हो गई कि न केवल दिल्ली के कुछ इलाके, बल्कि गाजियाबाद और नोएडा में भी प्रतिकूल हालात रहे। अब जब यह उम्मीद की जाने लगी है कि बाढ़ का खतरा कम होगा तो बारिश के बाद मलेरिया, डेंगू, आई फ्लू, डायरिया, वायरल बुखारऔर शरीर में तेज दर्द जैसी खतरनाक मौसमी बीमारियों की शिकायतें बढ़ने लगी हैं।

डेंगू और मलेरिया से पीड़ित मरीज बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में इन मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है। लिहाजा, प्रशासन को ज्यादा गंभीरता से इन मामलों को देखने की जरूरत है।

नगर निगम और राज्य के अस्पतालों में ऐसे मरीजों के उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। पानी का स्तर जैसे ही कम होगा, ऐसी बीमारियों का आक्रमण ज्यादा तीव्र गति से होगा। लिहाजा, सिविक एजेंसियों को पहले से ही वो सारी व्यवस्था तैयार रखनी होंगी, जिनकी जरूरत उस वक्त पड़ेगी। अच्छी बात है कि दिल्ली सरकार इसे लेकर संजीदा है।

पेयजल की किल्लत को देखते हुए आरओ के बूथ लगाने का विचार अच्छा है। पीने के पानी, खाने-पीने के सामान, दवाइयां और रोजाना उपयोग में आने वाले सामान का स्टॉक रखना जरूरी है। आधी-अधूरी तैयारियों से हालात खराब होंगे। अच्छी बात है कि अभी तक खतरनाक चिकनगुनिया का कोई मामला सामने नहीं आया है। वाकई दिल्लीवासियों के लिए यह संकट का समय है। मगर सजगता और संवेदनशीलता से इससे पार पाया जा सकता है।



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