चाइल्ड लाइन :नैतिक जिम्मेदारी लेनी होगी

Last Updated 11 Jul 2023 01:38:07 PM IST

अब देश में चाइल्ड लाइन को प्रदेश सरकारों को सुपुर्द किया जाएगा ताकि मुसीबत में गुहार लगाने वाले बच्चों को तुरंत मदद मिल सके।


चाइल्ड लाइन :नैतिक जिम्मेदारी लेनी होगी

 केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने भोपाल (Bhopal) में यह बात कही। चाइल्ड लाइन सेवा (child line service) महिला व बाल विकास मंत्रालय द्वारा 26 सालों से चलायी जा रही है। यह गैर सरकारी संगठन चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन संचालित दूरभाष सहायता सेवा है। इसे बच्चों के हितों की रक्षा के लिए सातों दिन, चौबीसों घंटों के लिए मुफ्त में चलाया जाता है। यह बच्चों की मदद व उनकी सुरक्षा करती है। किशोर न्याय बोर्ड या चाइल्ड वेलफेयर कमेटी संबंधित प्राथमिकी दर्ज करने जैसी समस्याओं के हल पर भी उन्होंने बात की।

नयी व्यवस्था से समस्याग्रस्त बच्चे को स्थानीय प्रशासन से तुरंत समाधान प्राप्त हो सकेगा। बच्चों के अधिकारों को लेकर अपने यहां गंभीर काम बहुत कम हुआ है। ऐसे में बच्चों की समस्याओं को लेकर उठाये गये कोई भी कदम सांत्वना देते हैं। बच्चे देश का भविष्य हैं। इनके साथ होने वाले किसी अन्याय से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। जरूरी नहीं कि निराश्रित व बेसहारा बच्चों को ही र्दुव्‍यवहार व शोषण झेलना पड़ता है।

कई दफा कुटुंब के भीतर, पड़ोसी या परिचितों द्वारा भी बुरा बर्ताव होता रहता है। उनके प्रति इन अपराधों के लिए संपूर्ण समाज समेत देश की व्यवस्था भी जिम्मेदार हैं। जब इनकी आवाज कोई न सुन रहा हो तो ऐसी किसी व्यवस्था की जरूरत बढ़ जाती है, जो कानूनन इनकी मददगार साबित हो।

समाज में बच्चों का बड़ा वर्ग है, जिसकी शिक्षा, स्वास्थ्य व रिहाइश को लेकर होने वाले प्रयास खाने में नमक के बराबर ही साबित होते हैं। बच्चों के साथ होने वाले किसी भी तरह के र्दुव्‍यवहार, शोषण, अत्याचार व यौन हमलों की अनदेखी अन्याय के दायरे में आती है।

बच्चों को जागरूक करने के साथ ही आमजन में भी जिम्मेदारी का भाव जगाया जाए। स्कूलों व सार्वजनिक स्थानों पर इसका व्यापक प्रचार हो ताकि इस तरह की हेल्प लाइनों में संबंधित शिकायत दर्ज कराने को लेकर वे हिचक न महसूसें। नियमों को लचीला बनाकर, समाज के बड़े वर्ग को मदद के लिए प्रोत्साहित किया जाना बेहद जरूरी है। बच्चे के प्रति अत्याचार के संज्ञान में आते ही स्थानीय प्रशासन व पुलिस कोताही न बरतें बल्कि इसे नैतिक जिम्मेदारी की तरह निभाएं।



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