वर्षा को विभीषिका न होने दें
वर्षा और विभीषिका में तब फर्क मिट जाता है, जब देश के बड़े भूभाग में सामान्य से अधिक बरसात का रिकॉर्ड दर्ज होता है। और कुव्यवस्था होती है।
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राजधानी दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान,हिमाचल प्रदेश, पंजाब जम्मू-कश्मीर और असम में सात राज्यों में विगत दिनों से कभी छूट कर तो कभी लगातार हो रही वर्षा से हालात बेकाबू हो गए हैं। इनके चलते बादल फटने, भूस्खलन होने, बिजली गिरने और जलभराव के अलावा करंट लगने आदि वजहों से इन राज्यों में लगभग 50 जानें गई हैं। यहां नदियां लबालब भरी हुई हैं। पानी से खेत के खेत पट गए हैं।
सड़कों के धसकने, दीवारों-मकानों के गिरने और जहां-तहां लोगों के बह जाने की खबरें लगातार मिल रही हैं। कार के कार के पानी में गोता लगा रही हैं। जान माल के नुकसान की यह कोई पहली घटना नहीं है। इसमें कुछ नया नहीं है। यह वर्ष के मौसम का निर्धारित कर्मकांड है। यह कोई समुद्री तूफान नहीं है, जो कहीं से शुरू हो कर कहीं चला जाएगा। उसके लिए सीमित ऐहतियात से भी काम चल जाएगा। पर जहां आसमान एक बड़े भूभाग को छेक कर हर संभव तरीके से बरस ही रहा हो,वहां किस कदर कैसी तैयारी करने की जरूरत है, इस पर हर पंचवर्षीय योजना की कवायद कम पड़ती रही है।
प्राकृतिक आपदा में बदली बरसात से बचाव के इंतजाम अधूरे रह जाते हैं। जब पानी कयामत बरपा कर चला जाता है तो लगता है कि अमुक जगह के पाइप खोल दिए गए रहते, फलां बांध की थोड़ी ऊंचाई बढ़ा दी जाती या उसकी मरम्मत हो जाती, सड़कों के किनारों की नालियों की सफाई हो गई होती, नदियों के गाद निकाले गए होते, कमजोर मकानों की शिनाख्त कर प्रशासन उनके मालिकों को सहायता दी होती, जल-जमाव वाले पुराने स्थलों के डेटा खंगाल कर उनको चाक-चौबंद कर दिया जाता तो बहुत हद तक जानमाल की क्षति से बचा जा सकता था।
लेकिन गांवों को तो अपने भरोसे छोड़ ही दिया गया है, स्मार्ट सिटी के नारे के बावजूद नगर प्रशासन की काहिली में जरा सा ही फर्क आया है। ऐसे में बरसात को विपदा में बदलाव होता है तो इसे किस तरह रोका जा सकता है? बहुतेरे नागरिक इस बात की गवाही देंगे कि विकराल वर्षा से भी निबटा जा सकता है, अगर संभावित नुकसान के बिंदुओं पर सिस्टम योजनाबद्ध तरीके से काम करे। अलबत्ता, बादल फटने या बिजली गिरने की आकस्मिकता का पहले से सौ फीसदी बचाव नहीं हो सकता है। लेकिन इनका भी इंतजाम जितना हो सकता है, उतना तो कम से हो।
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