ऊंचे मुकाम पर चार भारतीय स्त्रियां

Last Updated 12 Jul 2023 01:45:31 PM IST

अपना मुकाम खुद हासिल करने वाली फोर्ब्स (Forbes) की 100 सबसे अमीर महिलाओं की सूची में चार भारतीय भी शामिल हैं। ये हैं-जयश्री उल्लाल, नीरजा सेठी, नेहा नारखेड़े व इंद्रा नूयी (Jaishree Ullal, Neerja Sethi, Neha Narkhede and Indra Nooyi)।


ऊंचे मुकाम पर चार भारतीय स्त्रियां

इन चारों की संपत्तियां सामूहिक तौर पर चार अरब डॉलर से ज्यादा हैं। जयश्री (Jaishree Ullal) कंप्यूटर नेटवर्किग फर्म अरिस्टा नेटवर्क्‍स (Jayshree Computer Networking Firm Arista Networks) की अध्यक्ष व सीईओ हैं। नीरजा (Neerja Sethi) आईटी परामर्श व आउटसोर्सिग फर्म सिंटेल की सहसंस्थापक व नेहा क्लाउड कंपनी कॉन्फ्लूएंट की सहसंस्थापक-पूर्व प्रौद्योगिकी अधिकारी (CTO) हैं।

इंदिरा (Indra Nooyi) पेप्सिको की पूर्व चेअरपर्सन व सीईओ हैं। शेयर बाजारों में जारी तेजी के बीच फोर्ब्स की सौ अतिसमृद्ध महिलाओं की सूची में शामिल महिला उद्यमियों की कुल संपदा गत साल की तुलना में 12 फीसद बढ़कर 124 अरब डॉलर पर पहुंच चुकी है। 2.4 अरब डॉलर के साथ उल्लाल सूची में 15वें स्थान पर हैं। 68 साल की सेठी 99 करोड़ डॉलर की संपत्ति के साथ 25वें स्थान पर हैं जबकि 38 साल की नारखेड़े 52 करोड़ की संपदा के साथ 38वें स्थान पर हैं।

पेप्सिको के साथ 24 साल रहने वाली नूयी 2019 में अवकाश प्राप्त कर चुकी हैं। 35 करोड़ डॉलर के साथ वह 77वें स्थान पर हैं। अपने बल पर दुनिया के आगे मिसाल पेश करने वाली इन महिलाओं ने देश का नाम तो रोशन किया ही है। आम भारतीय नयी स्त्री के लिए भी ये आदर्श साबित होंगी। परिवार में एक शिक्षित स्त्री के प्रभाव से आने वाले बदलाव सबने बखूबी महसूसे हैं। ऐसे में अपनी मेधा के बूते अरबों की संपत्ति एकत्र करने वाली ये महिलाएं भी लाखों नवयुवतियों के लिए प्रेरणास्रेत हैं।

पारंपरिक मुलाजमत करने व स्वरोजगार में बुनियादी फर्क होने के बावजूद अभी भी अपने यहां जोखिम वाले कामों से बचा जाता है। परंतु उच्चतम शिक्षा पाकर अनुभवों के आधार पर नये रास्ते चुनने वाली ये महिलाएं कड़ी मेहनत ही नहीं कर रहीं बल्कि पुरुषों के आधिपत्य वाले गैरपारंपरिक क्षेत्रों में भी हाथ आजमा रही हैं। ये प्रतिभाशाली महिलाएं नयी इबारतें लिखने का जो काम कर रही हैं। वह आने वाली पीढ़ियां के लिए नुस्खे का काम करेंगी।

अपने समाज में महिलाओं के प्रति आम धारणाओं को इन्होंने सलीके से तोड़ा ही नहीं बल्कि उस मुकाम पर ले जाकर दिखाया है, जहां पहुंचने का ख्वाब पुश्तैनी कारोबारियों के लिए भी दुष्कर रहा है। यह स्त्री सशक्तिकरण का प्रमाण ही नहीं बल्कि वैश्विक पटल पर मुश्तैदी से उसकी पहचान कायम करना भी है।



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