पश्चिम बंगाल : अंधे मोड़ से आगे
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई व्यापक हिंसा का राजनीतिक और समाजशास्त्रीय दोनों स्तर पर अध्ययन किये जाने की अनिवार्यता है।
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बंगाल अपनी सांस्कृतिक विरासत, बौद्धिकता, सौहार्द और मानवीय गुणों के लिए विख्यात है। यहां के निवासी भद्रलोक कहे जाते हैं। वे अपने बंगाल को सोनार बांगला कहते हैं। सही मायने में यहां की संस्कृति भारतीय संस्कृति ही है। जिसकी जड़ें बंगाली साहित्य, संगीत, कला रंगमंच और सिनेमा में देखने को मिलती हैं। यही वजह है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कुछ वरिष्ठ नेता और कलाकार चुनावी हिंसा को लेकर काफी आहत हैं। इन सभी लोगों ने बंगाल में राजनीतिक हिंसा की संस्कृति को खत्म करने की अपील की है। इन्होंने यह भी कहा कि पंचायत चुनाव में कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर उनका सिर शर्म से झुक गया है।
गौर करने वाली बात है कि पंचायत चुनाव की तारीख की घोषणा से लेकर मतदान की प्रक्रिया तक सूबे में करीब 43 लोगों की हत्या हुई। टीएमसी के नेता और विधायक हुमायूं कबीर ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा है कि हर किसी को शर्मिदा होना चाहिए कि 2023 में भी हम हिंसा की इस संस्कृति पर रोक नहीं लगा सके हैं। हमें आत्मावलोकन करना चाहिए। जाहिर है किसी भी सभ्य समाज और लोकतांत्रिक देश में शायद ही कोई ऐसा नागरिक हो जो चुनावी हिंसा की पैरोकारी करता हो। समाज सेविका मदर टैरेसा ने बंगाल के लोगों को एक दूसरे से प्यार करने वाला कहा था।
यहां के गरीब न केवल अपनी गरीबी साझा करते हैं बल्कि उससे भी महत्त्वपूर्ण बात ये है कि अपने पड़ोसियों की जरूरतों को भी जानते हैं। यहां के लोगों को पीढ़ियों से विरासत में जो कुछ मिला है। उसे धरोहर के रूप में संजोकर रखते हैं। वैसे तो बंगाल में चुनावी हिंसा पहली बार नहीं हुई है। इस बार खास ये है कि सत्ताधारी दल के नेता और बौद्धिक वर्ग ने हिंसा की राजनीति पर अपनी चिंता प्रगट की है। इस चुनाव में जो हिंसा हुई उसमें सरकार और प्रशासन की लापरवाही साफ दिखाई दे रही है। शनिवार 8 जुलाई को हुए मतदान के दौरान अगर संवेदनशील मतदान केंद्रों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती हुई होती तो इतने निदरेष लोग मारे नहीं गये होते।
यह बात सोमवार को 19 जिलों के 696 बूथों पर हुए पुनर्मतदान से पता चलता है। इस दौरान प्रत्येक बूथ पर केंद्रीय सुरक्षा बलों के 4-4 जवानों के अलावा राज्य पुलिस भी तैनाती थी। सड़कों पर भी पुलिस थी। इससे कोई बड़ी वारदात नहीं हुई। इसी बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनावी हिंसा पर बीएसएफ के महानिदेशक और राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। राज्यपाल सी.वी.आनंद बोस ने सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भेंट कर हिंसा के बारे में उन्हें अवगत करा ही चुके हैं। तो हाईकोर्ट के साथ केंद्र भी हिंसा को लेकर काफी सख्त है। पर सूबे को राजनीतिक हिंसा से मुक्ति दिलाने के लिए वहां के नेताओं एवं प्रबुद्ध वर्ग को आगे आना होगा।
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