ऑनलाइन गेम की हर बाजी पर टैक्स
जीएसटी परिषद ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों, कसीनो और घुड़दौड़ में दांव पर लगाई जाने वाली राशि पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगाने का मंगलवार को फैसला किया।
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने परिषद की 50वीं बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देने के क्रम में बताया कि ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और घुड़दौड़ में दांव लगाई जाने वाली राशि पर अधिकतम दर से कर लगाने के पीछे इरादा किसी उद्योग को खत्म करना नहीं है।
बैठक में इन व्यवसायों से जुड़े नैतिक प्रश्न पर भी चर्चा की गई। तवज्जो यह है कि जो भी उद्योग या उद्यम मूल्य सर्जन कर रहा है, लाभ कमा रहा है, उस पर जीएसटी लगाया जाना चाहिए। जहां तक ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो, घुड़दौड़ में दांव लगाने से जुड़ी नैतिकताओं का मसला है, तो यह ध्यान यह दिया गया जो लोग दांव लगातार जीतते हैं, उसके आधार पर कर लगाया जाए। यानी नैतिकता नहीं, बल्कि आधार यह है कि मूल्य सर्जन करने वाले उद्यम पर जीएसटी लगना चाहिए।
ज्यादा कर लगाकर इन उद्यमों का चलन हतोत्साहित करना या नियामकीय पहलू पर ध्यान देना मकसद नहीं है, बल्कि जीएसटी के दायरे को बढ़ाने पर ध्यान है। ऑनलाइन गेमिंग के नियामकीय पहलू तो सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय देख ही रहा है। इस कराधान में यह भेदभाव नहीं किया जाएगा कि इस खेल में कौशल की जरूरत है या यह संयोग पर आधारित है। यानी परिषद की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि कौशल और मौके के खेल के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए।
ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ और कसीनो की लॉटरी या जुए की तरह ‘कार्रवाई योग्य दावे’ के रूप में परिभाषित करने के लिए जीएसटी कानून में संशोधन का विधेयक संसद के मानसून सत्र में लाने की संभावना है। ऑनलाइन गेमिंग पर कर संबंधी फैसले पर इस उद्योग ने अपने खात्मे की शंका जताई है, लेकिन वित्त मंत्री ने इसे निर्मूल करार दिया।
लेकिन उद्योग की शंका का समाधान नहीं हुआ है। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ रोनाल्ड लेंडर्स के मुताबिक, परिषद का यह फैसला असंवैधानिक और पूरी तरह तर्कहीन है। गौरतलब है कि देश में ऑनलाइन गेमिंग का उद्योग 1.5 अरब डॉलर का है। जीएसटी के मामले में सरकार को सतर्क रहना होगा क्योंकि जांच में करीब 25 फीसद जीएसटी खाते गायब पाए गए हैं।
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