पाकिस्तान की लोकतांत्रिक संस्था गहरे संकट में

Last Updated 17 May 2023 01:28:11 PM IST

ऐसा नहीं लगता कि निकट भविष्य में पाकिस्तान (Pakistan crisis), के संकट का कोई हल निकल पाएगा। पाकिस्तान (Pakistan supreme Court) के सर्वोच्च न्यायाल के आदेश से इमरान खान (Imran Khan) की रिहाई के बाद थोड़ी देर के लिए लगा था कि इमरान की जीत हो गई है।


पाकिस्तान से उठती चेतावनी

शायद पाकिस्तान सरकार इमरान खान की यथाशीघ्र चुनाव कराने की मांग पर गौर करेगी, लेकिन उसके बाद जो हुआ वह हमें भारत में बैठकर अप्रत्याशित सा लग सकता है पर पाकिस्तानी रीति-नीति की दृष्टि से यह प्रत्याशित ही था। दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों में सर्वोच्च न्यायालय वह शीर्ष संस्था होती है, जिसके आदेश को मानना ही पड़ता है, वह भी आदेश की बिना अवमानना किए। पाकिस्तान में न केवल सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को नकार दिया गया बल्कि जिस मुख्य न्यायाधीश ने इमरान की रिहाई के आदेश दिए उसके विरुद्ध मामला दर्ज करने के लिए एक विशेष समिति का गठन कर दिया गया है।

यह समिति मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल पर शपथ का उल्लंघन और गलत कायरे के आरोप में सुप्रीम जुडिशियल काउंसिल में मामला दर्ज कराएगी। विशेष समिति का गठन नेशनल असेंबली (संसद) ने सर्वसम्मति से पारित किया है। लेकिन संकट का बड़ा कारण वहां सरकारी पक्ष के नेताओं का सीधे-सीधे मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध सड़प पर उतर आना है। इस समय इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, तेरह दलों का सत्तारूढ़ गठबंधन, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट और सेना के बीच खुले तथा मर्यादाविहीन संघर्ष में पाकिस्तान की हर लोकतांत्रिक संस्था को गहरे संकट में डाल दिया है।

तमाशा यह है कि जो इमरान भ्रष्टाचार के विरोध के नाम पर सेना के समर्थन से सत्ता में आए थे, वही इमरान भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे हुए हैं। बड़ी बात यह है कि समूचे घटनाक्रम में भारत के लिए भी अशुभ संकेत छिपे हैं। सत्ता और विपक्ष के बीच एक दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाना और इसे लेकर आक्रामक हो जाने का जो खेल पाकिस्तान में चल रहा है उसकी थोड़ी सी झलक भारत में भी दिखाई देती है।

यहां भी सत्ता-विपक्ष का संघर्ष कभी-कभी सारी मर्यादाओं को लांघते हुए दिखाई देता है। अगर भारत को पाकिस्तान जैसी स्थिति से बचना है तो उसे अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूती प्रदान करनी होगी ताकि भ्रष्टाचार पर प्रक्रियागत नियंतण्रलग सके और ईडी तथा सीबीआई जैसी ज्एजेंसियों का विनाशक इस्तेमाल कम हो सके।



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